शहर संग्राम.. क्या कहते हैं नतीजे? क्या 2023 के विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर?

शहर संग्राम.. क्या कहते हैं नतीजे? क्या 2023 के विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर? result of the urban body affect the 2023 assembly elections?

शहर संग्राम.. क्या कहते हैं नतीजे? क्या 2023 के विधानसभा चुनाव में पड़ेगा असर?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:57 pm IST
Published Date: December 23, 2021 11:42 pm IST

भोपालः  छत्तीसगढ़ के 15 नगरीय निकायों में चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। नगर पंचायत में कांग्रेस ने जहां एकतरफा जीत दर्ज की है तो वहीं 5 नगर पालिका में 3 नगर पालिका सारंगढ़, शिवपुर-चरचा और बैकुंठपुर में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। वहीं जामुल नगर पालिका बीजेपी के खाते में आई है, जबकि खैरागढ़ सीट पर बीजेपी-कांग्रेस में मुकाबला बराबरी पर रहा। चुनाव भले सिर्फ 15 निकायों में था। पर इसके नतीजों की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी। बहरहाल जो तस्वीर उभर रही है, जो संदेश निकल रहा है, उसके सियासी मायने क्या हैं। प्रदेश की राजनीति में इसका क्या असर दिखेगा। इन तमाम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश हम करेंगे।

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जश्न की ये तस्वीरें निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद की है। गुरुवार को प्रदेश के 10 जिलों के 15 नगरीय निकायों के चुनाव परिणाम आएं। जिसमें सभी 6 नगर पंचायतों में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की। वहीं नगर निगम की बात करें तो बीरगांव नगर निगम में जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। किसी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है। यहां मेयर बनाने के लिए 21 पार्षदों की जरूरत है। लेकिन कांग्रेस के 19 पार्षद जीते हैं जबकि बीजेपी 10 वार्डों और 11 निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। हालांकि रिसाली, चरोदा और भिलाई नगर निगम में कांग्रेस का मेयर बनना लगभग तय माना जा रहा है। अब तक की जो तस्वीर सामने आई है। कांग्रेस उसे सरकार की उपलब्धियों और कामकाज का परिणाम बता रही है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक जनता ने भूपेश सरकार के कामकाज पर जनादेश दिया है।

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नगर निगम के साथ-साथ नगर पालिका में तस्वीर भी लगभग साफ हो गई है… 3 नगर पालिका सारंगढ़, शिवपुर-चरचा और बैकुंठपुर में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। हालांकि जामुल नगर पालिका बीजेपी के खाते में आई है। उधर खैरागढ़ सीट पर रोमांचक मुकाबला रहा। पहले तो एक वार्ड में मुकाबला टाई हुआ और जब रिकाउंटिंग की गई तो कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर ली। जिसके बाद कांग्रेस और बीजेपी का 10-10 वार्डों पर कब्जा है लेकिन बीजेपी इन नतीजों को लेकर सरकार पर सत्ता और धनबल के दुरुपयोग करने का आरोप ला रही है।

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यूं तो प्रदेश के 15 निकायों में चुनाव था। चुनाव भले छोटा था लेकिन इसमें दांव पर थीं दोनों ही पार्टियों की बड़े नेताओं की साख अपनी-अपनी पार्टी के लिये बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकते नजर आए..अब जब नतीजे सामने हैं तो सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस जीत-हार के सियासी मायने क्या हैं। इन नतीजों का प्रदेश की राजनीति में कितना असर पड़ेगा। शहर संग्राम का जनादेश बीजेपी के लिए क्या संदेश है। कांग्रेस की जीत क्या भूपेश सरकार के विकास पर जनता ने मुहर लगाई और सबसे बड़ा सवाल ये कि क्या 2023 के विधानसभा चुनाव में इसका इफेक्ट पड़ेगा?

 


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सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।