चुनावी साल, सियासी शोर..भागवत कथा पर पूरा जोर! चुनावी साल में क्यों बढ़ा भागवत कथाओं का आयोजन?

चुनावी साल में क्यों बढ़ा भागवत कथाओं का आयोजन? Why the Bhagwat stories increased in the election year in CG

चुनावी साल, सियासी शोर..भागवत कथा पर पूरा जोर! चुनावी साल में क्यों बढ़ा भागवत कथाओं का आयोजन?
Modified Date: January 17, 2023 / 12:07 am IST
Published Date: January 17, 2023 12:07 am IST

सौरभ सिंह परिहार/रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों कथानीति चल रही है। चुनाव के पहले जनप्रतिनिधि और टिकट के दावेदार धर्म के सहारे जीत का रास्ता तलाश रहे हैं। इसलिए मोटी दक्षिणा देकर भागवत कथाओं का आयोजन करवा रहे हैं और इसमें उमड़ती भीड़ से जनाधार बढ़ने की उम्मीद लगा रहे हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ऐसे आयोजनों से कोई गुरेज नहीं है.. लेकिन बीजेपी का कहना है कि कौन आस्तिक है और कौन नास्तिक.. ये जनता समझती है।

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सच्चिदानंद रूपाय विश्व उत्पत्यादिहेतवे। तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नमः॥ श्रीमद्भागवत महापुराण के इस पहले श्लोक का अर्थ है- जो सत्य, चित्त और आनंद के स्वरूप हैं, जो संपूर्ण विश्व की उत्पत्ति और प्रलय के कारण हैं। जो तीनों प्रकार के तापों का विनाश करने वाले हैं,उन परम पिता भगवान श्रीकृष्ण को हम सब प्रणाम करते हैं।

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जीवन की सही दिशा और मोक्ष का मार्ग बताने वाले श्रीमदभागवत कथा के आयोजनों में हमेशा बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। अब इस भीड़ में राजनीतिक दलों को संभावित वोटर नजर आने लगे हैं। यही वजह है कि चुनावी साल में ऐसे धार्मिक आयोजन की संख्या बढ़ गई है। बीते 4 साल के दौरान प्रदेश में ऐसे करीब 50 बड़े आयोजन हुए लेकिन चुनावी साल शुरु होते ही सिर्फ एक महीने में ही दर्जनभर से ज्यादा आयोजन हो चुके हैं। खास बात ये है कि आयोजन करने वालों में बड़ी संख्या जनप्रतिनिधि और टिकट मांगने वालों की है। कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे इसे राजनीति के लिए अच्छा संदेश बता रहे हैं।

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दोनों ही पार्टियां धर्म के नाम पर राजनीति से इंकार करती रही हैं लेकिन धार्मिक आयोजनों में नेता बढ़-चढ़ का हिस्सा लेते हैं। सवाल है क्या इससे जनाधार बढ़ेगा ? क्या इससे वोटर रिझेंगे? ऐसे तमाम सवालों के लिए नेता गीता के एक श्लोक को आधार मानकर चल रहे हैं-
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ यानी कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों पर नहीं… इसलिए कर्म करो, फल की चिंता मत करो।

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लेखक के बारे में

IBC24 डिजिटल में कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हूं, जहां मेरी जिम्मेदारी मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति सहित प्रमुख विषयों की खबरों की कवरेज और प्रस्तुति है। वर्ष 2016 से डिजिटल पत्रकारिता में सक्रिय हूं और अब तक 8 वर्षों का अनुभव प्राप्त किया है। विभिन्न प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य करते हुए न्यूज़ राइटिंग और डिजिटल टूल्स में दक्षता हासिल की है। मेरे लिए पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—सटीक, तेज और असरदार जानकारी पाठकों तक पहुंचाना मेरा लक्ष्य है। बदलते डिजिटल दौर में खुद को लगातार अपडेट कर, कंटेंट की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।