लौह, काष्ठ, माटी शिल्पों में है लोक जीवन के रंग, शिल्पग्राम को मिल रही विदेशी मेहमानों की सराहना | Iron, wood, clay crafts have colors of folk life, Shilpagram is getting appreciation from foreign guests

लौह, काष्ठ, माटी शिल्पों में है लोक जीवन के रंग, शिल्पग्राम को मिल रही विदेशी मेहमानों की सराहना

लौह, काष्ठ, माटी शिल्पों में है लोक जीवन के रंग, शिल्पग्राम को मिल रही विदेशी मेहमानों की सराहना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : December 28, 2019/11:38 am IST

रायपुर, छत्तीसगढ़।  आदिवासियों की कला स्वाभाविक और जीवंत होती है, इनकी कलाओं में लोक जीवन की घटनाओं का चित्रण मिलता है। कलाकारों की सरल और सहज अभिव्यक्ति चारचांद लगा देती है। चाहे मिट्टी-शिल्प की बात हो या लौह-शिल्प की, कलाकारों के सिद्धहस्त हाथ, उनकी जादूगरी देखते ही बनती है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के अवसर पर साईंस कॉलेज मैदान में बनाए गए शिल्पग्राम में भारी भीड़ उमड़ रही है। यहां हैण्डलूम, बांस-शिल्प, डोकरा-आर्ट, बस्तर-आर्ट और माटी शिल्पों को देश-विदेश से आए कलाकारों और स्थानीय लोगों द्वारा खूब सराहा जा रहा है।

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छत्तीसगढ़ के माटीशिल्पी अशोक चक्रधारी द्वारा चाक से तैयार किए जा रहे मिट्टी गमले सहित विभिन्न बर्तनों के निर्माण और कोसा से धागा बनाने की प्रक्रिया देखी जा सकती है। माटीशिल्प के तहत मिट्टी से बने हाथी, घोड़ा, गमला, दीया सहित घरेलू उपयोग के विभिन्न बर्तन बिक्री-सह-प्रदर्शनी के लिए रखे गए है। यहां कोण्डागांव के बांस शिल्पियों द्वारा तैयार किए गए पेन स्टैण्ड, बासुंरी, मछली, फर्नीचर, हैण्डलूम प्रदर्शनी में कुरूद, रायगढ़, बिलासपुर, छुईखदान, सोमाझटिया, चांपा से आए कारीगरों द्वारा कोसा के उत्कृष्ट उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है।

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बिलासपुर जिले के ग्राम चूनाखोदरा से आए हीरालाल ने बताया कि शिल्पग्राम के आयोजन से उन्हें अच्छा बाजार मिल रहा है। वहीं दूर-दराज के कलाकारों से प्रत्यक्ष मुलाकात हो रही है। दुर्ग के कॉलेज छात्र तारकेश्वर ने कहा कि शिल्पग्राम में छत्तीसगढ़ के बांस, लौह और काष्ठ शिल्प के बारे में अच्छी जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि बांसशिल्प के बारे सुना था, आज शिल्पियों को काम करते हुए देखने का मौका भी मिला।

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