मनमर्जी के अस्पताल कार्रवाई कब ? कोरोना संकट के बीच जारी है निजी अस्पतालों की मनमानी | When did Manmarji's hospital take action? See the arbitrariness of private hospitals amid Corona crisis

मनमर्जी के अस्पताल कार्रवाई कब ? कोरोना संकट के बीच जारी है निजी अस्पतालों की मनमानी

मनमर्जी के अस्पताल कार्रवाई कब ? कोरोना संकट के बीच जारी है निजी अस्पतालों की मनमानी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:55 PM IST, Published Date : May 20, 2021/6:35 pm IST

कोरोना की आफत ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है…रही सही कसर अब निजी अस्पताल पूरी कर रहे हैं…क्या भोपाल, क्या जबलपुर और क्या इंदौर…मध्यप्रदेश के तकरीबन हर शहर में निजी अस्पतालों की लूट मार जारी है…कोरोना मरीज़ों को तंग किया जा रहा है…सरकार के आदेशों की नाफरमानी हो रही है…ऐसा तब हो रहा है जब खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ये साफ कर चुके हैं कि कोरोना मरीजों को लूटने वाले नरपिशाच हैं…उन्हें बख्शा नहीं जाएगा…सरकार तो ये भी दावा कर रही है कि हाल के 10 महीनों में 168 शिकायतें मिली हैं जिनमें 141 शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है…लेकिन भोपाल और जबलपुर के दो निजी अस्पताल सरकारी कायदे कानून से खुद को उपर बता रहे हैं।

जबलपुर में जामदार अस्पताल को लेकर बवाल मचा है, जहां एनएसयूआई.. बीजेपी नेता डॉ जितेंद्र जामदार के अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है।  सबूत के लिए एनएसयूआई एक वीडियो का हवाला भी दे रही है।
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दरअसल ये वीडियो एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष विजय रजक जब एक मरीज गणेश को लेकर गए उस वक्त का है…जिसके पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद इलाज नहीं किया जा रहा है। ये हाल जबलपुर का ही नहीं है …..भोपाल के चिरायु अस्पताल में एक मरीज के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है।

 जबलपुर में स्वास्थ्य अधिकारी अगले दो दिन में जांच करने का भरोसा दे रहे हैं जबकि भोपाल के चिरायु अस्पताल को नोटिस भी दिया गया…जिसके अगले ही दिन एक और ऐसे मामले में सांसद सिंधिया को हस्तक्षेप करना पड़ा जिसके बाद पीड़ित को दो लाख रुपए वापस लौटाए गए …लेकिन कुछ सवाल तो है हीं..
 क्या इन अस्पतालों को सरकार का खौफ नहीं है।
क्या इन अस्पतालों को राजनीतिक संरक्षण मिला है।
क्या ये अस्पताल कायदे और कानून से ऊपर हैं ।
क्यों नहीं इन अस्पतालों की मान्यता रद्द की जाती है।
क्या नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
 सवाल कई हैं जिनके सहारे कांग्रेस बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर रही है।

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 मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के हर रहवासी को सस्ता इलाज मिले इसके लिए निजी अस्पतालों को आयुष्मान योजना में शामिल करने की घोषणा की थी…उन्होंने बार बार निजी अस्पतालों को चेताया कि कोई मरीज बगैर इलाज के नहीं रहे… प्रदेश के करीब 500 से ज्यादा अस्पताल इस योजना से जुड़ भी चुके हैं। 300 आयुष्मान मित्र मदद भी कर रहे हैं लेकिन आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करने वाले अस्पतालों को लेकर शिकायतें दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अब सवाल है कि नियम तोड़ने वाले इन अस्पतालों को छूट क्यों?