ओखला में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण: दिल्ली उच्च न्यायालय |

ओखला में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण: दिल्ली उच्च न्यायालय

ओखला में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण: दिल्ली उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : March 24, 2022/4:07 pm IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने ओखला औद्योगिक क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर एसडीएमसी और डीएसआईआईडीसी की रस्साकशी को दोषी ठहराने को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और अधिकारियों को अनधिकृत निर्माण हटाने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (डीएसआईआईडीसी) को एक-एक वरिष्ठ अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नामित करने का निर्देश दिया। ये अधिकारी ओखला औद्योगिक क्षेत्र में सार्वजनिक भूमि एवं सड़कों पर से अनधिकृत निर्माण एवं अतिक्रमण हटाने की योजना बनाने के लिए बैठक करेंगे।

पीठ ने कहा, ”यह एक दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि दो प्राधिकारी सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण के लिये एक दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं।”

एक ओर एसडीएमसी के वकील ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र को डीएसआईआईडीसी को स्थानांतरित कर दिया गया है, तो दूसरी ओर डीएसआईआईडीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि अतिक्रमण एसडीएमसी के अधिकार क्षेत्र में हुआ है।

अदालत ने एसडीएमसी और डीएसआईआईडीसी को नोडल अधिकारियों के बीच होने वाली बैठक की जानकारी देने के लिये कहा। साथ ही अदालत ने कहा कि इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट और अतिक्रमण हटाने को लेकर की गई कार्रवाई की तस्वीरें भी पेश करने का निर्देश दिया।

अदालत ने डीसीपी (दक्षिण) को क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए आवश्यक बल उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया। अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिये।

भाषा जोहेब अनूप

अनूप

 

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