अमेजन-फ्यूचर विवाद : न्यायालय ने पूछा- क्या अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता है |

अमेजन-फ्यूचर विवाद : न्यायालय ने पूछा- क्या अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता है

अमेजन-फ्यूचर विवाद : न्यायालय ने पूछा- क्या अंतरिम आदेश पारित किया जा सकता है

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:41 PM IST, Published Date : April 1, 2022/8:32 pm IST

Amazon-Future dispute : नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पूछा कि क्या वह अमेजन की उस याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित कर सकता है कि ‘बिग बाजार दुकानों’ समेत फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) की संपत्तियों को तब तक अलग न किया जाए जब तक कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा रिलायंस रिटेल के साथ इसके विलय पर विवाद हल नहीं किया जाता।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एफआरएल दुकानों के मालिक उसके समक्ष पेश नहीं हुए हैं और सवाल यह है कि क्या मध्यस्थता का फैसला आने तक संपत्तियों को विमुख करने से रोकने का ऐसा कोई आदेश पारित किया जा सकता है।

पीठ ने अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी की याचिका पर अगली सुनवाई के लिए चार अप्रैल की तारीख तय की है।

पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘‘अगर किरायेदार या मालिक हमारे समक्ष पेश नहीं हुए हैं तो हम कैसे उन्हें इन दुकानों का कब्जा लेने से रोकने का आदेश दे सकते हैं।’’

सुनवाई की शुरुआत में अमेरिकी कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि जहां तक मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने का सवाल है तो अमेजन और फ्यूचर समूह के बीच कोई मतभेद नहीं है।

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘लेकिन अचानक संपत्तियों को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनी को ‘‘किसी भी अन्य पक्षकार के हित में संपत्तियों को अलग किए जाने के खिलाफ’’ अंतरिम आदेश की आवश्यकता है और ‘‘संपत्तियां एफआरएल के पास रहनी चाहिए और मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा मामले के निपटारे तक एफआरएल के साथ काम करना चाहिए।’’

उन्होंने बताया कि एफआरएल की 800 से अधिक दुकानें खाली की गयी हैं और रिलायंस समूह ने इन्हें खरीदा है।

एफआरएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि समूह के पास लगभग 374 दुकानें हैं और वह खुद से इसे तब तक किसी को नहीं देने जा रहे हैं, जब तक कुछ दुकानदार उन्हें बाहर नहीं फेंक देते।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बैंक खाते जब्त कर लिए है, मैं किराया नहीं दे सकता। हर कोई उम्मीद कर रहा है कि योजना रिलायंस के जरिये आएगी और हर किसी को कमाई होगी।’’ उन्होंने कहा कि किराया देने के लिए पैसा नहीं है और अगर कर्जदाता बैंक आते हैं तो आईबीसी ( दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता) लागू हो जाएगी।

फ्यूचर समूह के कर्जदाता बैंकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने न्यायालय को बताया कि मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित न किया जाए।

पीठ ने अब मामले की सुनवाई के लिए चार अप्रैल की तारीख तय की है जब अमेजन, फ्यूचर समूह की दलीलों पर जवाब देगा। इससे पहले पीठ ने अमेजन की याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई किए जाने का आश्वासन दिया था।

सुनवाई के दौरान अमेजन के वकील ने कहा कि फ्यूचर ग्रुप फर्म के सालाना खातों के मुताबिक उसके पास इतना पैसा है कि वह सारा किराया चुका सके।

सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘यह एक दिखावा है… इस बात का जरा सा भी सबूत नहीं है कि इनमें से किसी भी भू-स्वामी ने पट्टे के लिए कहा था। यह सिर्फ एक धुंधली तस्वीर है।’’

अमेरिकी फर्म की ओर से पेश एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने कहा कि एफआरएल की दुकानों का स्थानांतरण मिलीभगत थी।

इसके बाद पीठ ने फ्यूचर समूह के वकील से पूछा कि क्या होगा यदि मध्यस्थता का निर्णय अमेजन के पक्ष में जाता है और इसे कैसे लागू किया जाएगा।

गौरतलब है कि रिलायंस रिटेल के साथ एफआरएल के विलय संबंधी 24,500 करोड़ रुपये के सौदे का अमेजन यह कहते हुए विरोध करता रहा है कि यह फ्यूचर समूह के साथ हुए निवेश समझौते का उल्लंघन करता है।

अमेजन की याचिका में फ्यूचर रिटेल (एफआरएल) के रिलायंस रिटेल के साथ विलय सौदे को लेकर मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने और एफआरएल की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश

 

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