नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में निचली अदालतों, न्यायाधिकरण, दिल्ली उच्च न्यायालय और बार समेत सभी अदालतों के लिए न्यायिक अवसंरचना की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिहाज से शीर्ष अदालत के परिसर के पास एक ‘न्यायिक विस्टा’ बनाने की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और अपनी रजिस्ट्री को मंगलवार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति विनीत सरण और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने वकील अर्द्धेंदुमौलि कुमार प्रसाद की जनहित याचिका का संज्ञान लिया जिसमें केंद्रीय विधि एवं न्याय तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालयों को प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक नियंत्रण में न्यायिक अवसंरचना की जरूरत को पूरा करने के लिए एक केंद्रीय प्राधिकार गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
निजी तौर पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले प्रसाद की संक्षिप्त दलील सुनने के बाद पीठ ने आदेश दिया, ‘‘नोटिस जारी किया जाए, 30 मार्च तक जवाब दिया जाए।’’
याचिका के अनुसार, ‘‘देशभर में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं और वादियों के लिए अदालत कक्षों, बुनियादी सुविधाओं आदि न्यायिक अवसंरचना की कमी बहुत गंभीर विषय है और मामले में न्यायपालिका की स्वायत्तता की कमी और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार पर निर्भरता न्यायिक स्वतंत्रता के उद्देश्य को कमजोर करती है।’’
भाषा वैभव अनूप
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