नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार में जानबूझकर न्यायपालिका से टकराव के लिए (उस पर) हमले किए जा रहे हैं जिसके खिलाफ लोगों को खड़े होने की जरूरत है।
खरगे ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जारी एक संदेश में यह टिप्पणी की। खरगे की यह टिप्पणी तब आई है जब केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को तीस हजारी अदालत में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में कहा था कि न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही उन्होंने कहा था कि लेकिन लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका आकलन करते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,‘‘हमारा संविधान ही हमारे देश की आत्मा है। संविधान निर्माताओं ने न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की मूल भावनाओं को आधार बनाकर इस देश के नागरिकों को समान अवसर एवं समान सुरक्षा प्रदान की। यही हमारे लोकतंत्र की नींव है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत संविधान के इन्हीं बुनियादी सिद्धांतों को सुरक्षित करने की है क्योंकि कुछ लोग हैं, जिन्होंने भारतीय संविधान पर कभी यक़ीन नहीं किया, कभी इसका सम्मान नहीं किया।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘इन लोगों ने संविधान के विरूद्ध ही बात की और कार्य किए। आज वही लोग हर एक संवैधानिक संस्थान को कमज़ोर करने में जुटे हुए हैं। पिछले दरवाज़े से चुनी हुई सरकारों को गिराते हैं। संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष को डराते- धमकाते हैं, झूठे मुक़दमों में फंसाते हैं।’’
उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘‘ये लोग अपने अरबपति मित्रों को देश की संपत्ति बेचते है और उन्हीं की मदद से मीडिया को अपने चंगुल में करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे सरकार की सच्चाई लोगों के सामने उजागर ना हो पाए। जानबूझकर न्यायपालिका से टकराव करने के लिए हमले करते हैं। विश्वविद्यालयों में छात्रों के बीच नफ़रत का बीज बोया जा रहा है।’’
खरगे ने यह दावा भी किया कि हर उस संस्थान को जो स्वतंत्र रूप से संविधान के अनुरूप चल रहा था, उसमें अपने लोगों को बैठाकर उसे अपने वश में करने का षड्यंत्र जारी है।
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि महंगाई, बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता के आंकड़े मोदी सरकार की विफलताओं की कहानी स्पष्ट शब्दों में बयान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज को कमजोर करने की सोची समझी साज़िश चल रही है। ग़रीबों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। भाई को भाई से, एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों से, एक जाति के लोगों को दूसरी जाति के लोगों से, एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय से लड़ाने का काम लगातार चल रहा है और प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को भाषण, प्रचार और चुनाव के अलावा किसी बात से मतलब नहीं है।’’
खरगे ने लोगों का आह्वान किया, ‘‘आइए, हम सब मिलकर अपने संविधान और संवैधानिक संस्थानों को मज़बूत बनाएं। न्यायपालिका पर हो रहे आक्रमण के विरोध में खड़े हों। ग़रीबों और वंचितों के अधिकारों को सुनिश्चित करें और भारत को एक सुनहरे भविष्य की ओर ले जाएं।’’
भाषा हक हक पवनेश
पवनेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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