भाजपा सरकार ने लखीमपुर मामले में किसानों की बजाय अपने मंत्री का साथ दिया : प्रियंका |

भाजपा सरकार ने लखीमपुर मामले में किसानों की बजाय अपने मंत्री का साथ दिया : प्रियंका

भाजपा सरकार ने लखीमपुर मामले में किसानों की बजाय अपने मंत्री का साथ दिया : प्रियंका

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : May 10, 2022/12:22 pm IST

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने लखीमपुर खीरी की घटना को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के एक भाषण का उल्लेख किए जाने के बाद मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने किसानों के पक्ष में खड़े होने की बजाय अपने मंत्री का साथ दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में न्याय की लड़ाई जारी रहेगी।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने ट्वीट किया, ‘लखीमपुर किसान नरसंहार मामले में सबसे अहम पहलू था गृह राज्य मंत्री का ‘किसानों को देख लेने’ की धमकी वाला भाषण। भाजपा सरकार ने किसानों के पक्ष में खड़े होने की बजाय, अपने मंत्री की लाठी मजबूत की। ‘

प्रियंका गांधी ने जोर देकर कहा, ‘न्याय के लिए संघर्ष जारी है। पीड़ित किसान परिवार और हम सब मिलकर न्याय की लौ बुझने नहीं देंगे।’

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों- लवकुश, अंकित दास, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। लखीमपुर हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू कथित तौर पर संलिप्त हैं।

पीठ ने एसआईटी (विशेष जांच दल) के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि यदि केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने घटना से कुछ दिन पहले किसानों के खिलाफ जनता के बीच कुछ कटु वक्तव्य न दिये होते तो शायद यह घटना न होती।

पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थानाक्षेत्र में हिंसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना तब हुई जब केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे।

उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। घटना के बाद गुस्साए किसानों ने चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर पीट-पीट कर मार डाला। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

भाषा हक मनीषा

मनीषा

 

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