दिमागी रूप से मृत व्यक्ति के परिवार ने उसके अंगदान कर पांच लोगों को नया जीवन दिया |

दिमागी रूप से मृत व्यक्ति के परिवार ने उसके अंगदान कर पांच लोगों को नया जीवन दिया

दिमागी रूप से मृत व्यक्ति के परिवार ने उसके अंगदान कर पांच लोगों को नया जीवन दिया

:   Modified Date:  May 3, 2023 / 09:51 PM IST, Published Date : May 3, 2023/9:51 pm IST

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) सिर में चोट लगने के बाद दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ”ब्रेन डेड” घोषित किए गए 59 वर्षीय एक व्यक्ति के परिवार ने उसके अंगदान कर पांच लोगों को नया जीवन दिया है।

एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि रूपचंद्र सिंह के अंग राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) के माध्यम से विभिन्न अस्पतालों को सौंपे गए। उनके हृदय को अपोलो अस्पताल, यकृत को एएचआरआर (आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफेरल) अस्पताल और गुर्दों को – एम्स और आरएमएल (राम मनोहर लोहिया) अस्पतालों को सौंपा गया। चिकित्सक ने बताया कि उनके कॉर्निया को एम्स में राष्ट्रीय नेत्र बैंक में रखा गया है।

सिंह 30 अप्रैल को पूर्वाह्न करीब 11 बजे एक मोटरसाइकिल से अपने बेटे के साथ कहीं जा रहे थे, तभी यहां शादीपुर इलाके में वे दुर्घटना का शिकार हो गए थे। सिर में गंभीर चोट लगने के कारण उन्हें एम्स के ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया था जहां सोमवार देर रात डेढ़ बजे उन्हें ”ब्रेन डेड” मृत घोषित कर दिया गया था। उनके परिवार को शुरुआत में अंगदान के बारे में जानकारी नहीं थी। अंग पुनर्प्राप्ति बैंकिंग संगठन (ओआरबीओ) में प्रतिरोपण सलाहकार एवं समन्वयक ने परिवार को परामर्श देने के लिए उनसे कई सत्रों में मुलाकात की।

एम्स में 22 मार्च को कई अंग दान करने वाले एक व्यक्ति के भाई सूर्य प्रताप सिंह ने भी रूपचंद्र के परिवार के साथ अपने परिवार के अनुभव को साझा किया। इसके बाद रूपचंद्र के परिवार ने सर्वसम्मति से अंग दान के पक्ष में सहमति व्यक्त की।

रूपचंद्र के बेटे नागेंद्र ने बुधवार को कहा, ‘‘मेरे पिता बहुत ही दयालु और सामाजिक व्यक्ति थे। हमने उन्हें अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से खो दिया और यह हमारी इच्छा है कि उनके अंग बीमार लोगों को दिए जाएं। जब वह जीवित थे तो वह सभी की मदद किया करते थे और हमें छोड़कर जाने के बाद भी वह ऐसा ही कर रहे हैं।’’

एम्स में ओआरबीओ की प्रमुख डॉ. आरती विज ने कहा, ‘‘किसी परिवार के लिए आरटीए (सड़क यातायात दुर्घटना) जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बाद अंग दान का फैसला करना बहुत कठिन होता है, क्योंकि वे सदमे में होते हैं और उससे आसानी से उबर नहीं पाते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब कोई परिवार यह साहसिक निर्णय लेता है, तो इलाज करने वाले डॉक्टर, प्रतिरोपण समन्वयक, अंग प्रतिरोपण दल, फोरेंसिक विभाग, पुलिस और अन्य सहायक विभागों समेत सभी हितधारक समूह प्रक्रिया के समन्वय और उसे आसान बनाने के लिए बहुत तेजी से काम करते हैं ताकि परिवार को किसी प्रक्रियात्मक बाधा का सामना नहीं करना पड़े।’’

भाषा सिम्मी पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)