हैदराबाद, 28 सितंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव की तिथियों की घोषणा किये जाने के साथ ही तेलंगाना की हुजुराबाद विधानसभा सीट पर कड़ी प्रतिस्पर्धा होने के आसार हैं। सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत का परीक्षण करना चाहेगी।
भाजपा के लिए यह उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी राज्य में अगले विधानसभा चुनाव में खुद को टीआरएस के विकल्प के तौर पर पेश करना चाहती है। दोनों पार्टियां 30 अक्टूबर को होने वाले मतदान के वास्ते प्रचार अभियान के लिए कमर कस रही हैं जबकि कांग्रेस अपने नए प्रदेश अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में सही दांव चलने की उम्मीद कर रही है।
टीआरएस जहां अपनी ‘दलित बंधु’ योजना के जरिये दलित मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है, वहीं भाजपा ई. राजेंद्र के राजनीतिक कद पर भरोसा कर रही है जो उसके प्रत्याशी हो सकते हैं। जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने राजेंद्र को मंत्रिमंडल से निकाल दिया था, जिसके बाद उन्होंने जून में इस्तीफा दे दिया था। तभी से यह सीट रिक्त है।
राजेंद्र ने आरोपों का खंडन करते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था और अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें उपचुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। राजेंद्र के लिए यह करो या मरो की स्थिति है, क्योंकि वह 2003 में टीआरएस में शामिल होने के बाद से ही पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं।
इस बीच, टीआरएस राज्य की राजनीति में अपना दबदबा कायम रखने के प्रयास में यह सीट जीतकर दिखाना चाहती है कि राव के नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं दे सकता।
भाषा यश दिलीप
दिलीप
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