लिंगायत और वोक्कालिगा की आपत्ति के बावजूद ‘जातिगत गणना’ रिपोर्ट पेश |

लिंगायत और वोक्कालिगा की आपत्ति के बावजूद ‘जातिगत गणना’ रिपोर्ट पेश

लिंगायत और वोक्कालिगा की आपत्ति के बावजूद ‘जातिगत गणना’ रिपोर्ट पेश

:   Modified Date:  February 29, 2024 / 07:20 PM IST, Published Date : February 29, 2024/7:20 pm IST

बेंगलुरु, 29 फरवरी (भाषा) कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के.जयप्रकाश हेगडे ने बहुप्रतीक्षित सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को सौंप दी, जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘जाति गणना’कहा जाता है।

यह रिपोर्ट समाज के कुछ धड़ों और सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर से ही विरोध के सुर उठने के बीच सामने आयी है।

रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या है। सरकार को रिपोर्ट प्राप्त हुई है और इसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा और चर्चा करने के बाद फैसला लिया जाएगा।’’

कर्नाटक के दो प्रभावशाली समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत ने सर्वेक्षण को लेकर आपत्ति जताई है और इसे अवैज्ञानिक करार दिया है। दोनों समुदायों ने नवीनतम सर्वेक्षण को खारिज करने की मांग की है।

विश्लेषकों के मुताबिक मौजूदा सरकार रिपोर्ट जारी करने से परहेज करती रही है क्योंकि सर्वेक्षण के नतीजे कथित रूप से कर्नाटक की विभिन्न जातियों की संख्या को लेकर ‘पारंपरिक धारणा’ के विपरीत हैं, खासतौर पर लिंगायतों और वोक्कालिगा को लेकर जो राजनीतिक रूप से बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है।

राज्य के उप मुख्यमंत्री डी.के.शिवकुमार कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष हैं और स्वयं वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। वह उस ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले मंत्रियों में शामिल हैं जिन्होंने समुदाय की ओर से मुख्यमंत्री से रिपोर्ट और उसके आंकड़ों को खारिज करने की मांग की है।

वीरशैवा-लिंगायत समुदाय के शीर्ष निकाय ऑल इंडिया वीरशैवा महासभा ने भी सर्वेक्षण को अवैज्ञानिक करार देते हुए खारिज कर दिया है और नए सिरे से सर्वेक्षण कराने की मांग की है। इस निकाय के अध्यक्ष कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक शमनुरु शिकशानकरप्पा हैं। कई लिंगायत मंत्रियों और विधायकों ने भी सर्वेक्षण और उसके नतीजों का विरोध किया है जिससे कांग्रेस सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है।

कर्नाटक में 2013-2018 तक सत्तारूढ़ सिद्धरमैया नीत कांग्रेस सरकार ने 2015 में 170 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से ‘जाति गणना’ कराने की मंजूरी दी थी। तत्कालीन अध्यक्ष एच. कांतराजू के नेतृत्व में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मदेारी दी गई थी।

सर्वेक्षण का कार्य सिद्धरमैया के शासन के अंतिम साल 2018 में पूरा हो गया था लेकिन रिपोर्ट को न तो स्वीकार किया गया,न ही सार्वजनिक किया गया।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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