(नमिता तिवारी)
रांची, 30 मई (भाषा) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि केंद्र ऐसे समय में राजनीति कर रहा है, जब देश कोविड-19 की दूसरी लहर से जूझ रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की कि वह राज्यों के साथ मिलकर ‘‘इस तूफान का सामना करें’’ और इससे बचने पर ध्यान केंद्रित करें।
सोरेन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘जब हम एक तूफान से घिरे हुए हैं, तब ऐसे में राजनीति करने का समय नहीं है। यह एक दूसरे की टांग खींचने का समय नहीं है। (आइए) इस तूफान से मिलकर मुकाबला करते हैं और नौका को किनारे पर लेकर आते हैं… लेकिन यदि आप (केंद्र) बीच समुद्र में लड़ाई करते रहेंगे, तो आप डूब जाएंगे और हम (राज्य) भी डूब जाएंगे।’’
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुश्किल समय में ‘‘मिलकर काम करने’’ की अपील की और उन पर देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।
सोरेन ने कहा कि इस समय, देश वैश्विक महामारी की आक्रामक दूसरी लहर का सामना कर रहा है और इससे निपटने के लिए केंद्र एवं राज्यों के बीच उचित समन्वय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे दुख होता है… प्रधानमंत्री वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जिला मजिस्ट्रेट और उपजिलाधिकारियों से बात करते हैं, लेकिन मुख्यमंत्रियों को बात करने की अनुमति नहीं देते। संघीय प्रणाली में आप राज्यों के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे… पिछले 70 साल में ऐेसा पहले कभी नहीं हुआ… यदि राज्य सरकारें केंद्र के साथ ऐसा करना शुरू कर दें, तो क्या होगा?’’
इससे पहले, मुख्यमंत्री ने देश में कोविड-19 हालात को लेकर मोदी से फोन पर हुई बातचीत को प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ करार दिया था और कहा था कि इस दौरान बातचीत केवल एकतरफा रही।
उन्होंने कहा, ‘‘ आपने (केंद्र ने) न तो उचित टीकाकरण मुहिम शुरू करने, न ही ऑक्सीजन वितरण और ना ही किसी अन्य चीज के लिए प्रबंध किए… आपने संदेश दिया कि हमने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीत ली है और हर कोई निद्रासन में चला गया… अब इसका खामियाजा लोग भुगत रहे हैं। यदि उचित तैयारी होती, तो ऐसे हालात कभी पैदा नहीं होते।’’
सोरेन ने प्रधानमंत्री पर तीखा हमला करते हुए कहा कि केंद्र ने कोविड-19 की पहली लहर के दौरान गरीबों, असहाय लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए उचित प्रबंध किए बिना लॉकडाउन लगा दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘इस लॉकडाउन से कई लोगों की मौत हुई और अब आप लॉकडाउन लागू नहीं करने की शिक्षा दे रहे हैं।’’
सोरेन ने टीकाकरण मुहिम को लेकर कहा कि झारखंड के पास 18 से 44 आयुवर्ग के लिए टीकों की खुराक लगभग समाप्त हो चुकी हैं और उसके पास दो से तीन दिन की खुराक ही बची है।
उन्होंने नाराजगी जताई कि देश के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की 34 प्रतिशत आपूर्ति झारखंड ने की, लेकिन उसे राज्य में गैस के वितरण के लिए केंद्र से अनुरोध करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यहां संयंत्र लगाने की अनुमति केंद्र ने नहीं, राज्य सरकार ने दी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष भी उठाया।
सोरेन ने कहा, ‘‘हम आपको संरक्षक स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हम देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक हैं, लेकिन हमारे संसाधनों का दोहन नहीं करें। हमारे सभी आर्थिक संसाधन आपने अपने नियंत्रण में ले लिए हैं, लेकिन हमें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा।’’
उन्होंने कहा कि उनके राज्य में टीका बर्बादी का जो आंकड़ा बताया गया है, वह असल संख्या से बहुत अधिक है।
सोरेन ने ‘कोविन’ पोर्टल से पंजीकरण की प्रक्रिया को जटिल बताते हुए कहा कि झारखंड के लोग डिजिटल रूप से साक्षर नहीं हैं और इसलिए राज्य ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि उसे अपनी ऐप मुहैया कराने की अनुमति दी जाएं।
उन्होंने ‘कफन के नि:शुल्क वितरण’ संबंधी अपने बयान का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने में माहिर है। उन्होंने कहा कि भाजपा सांसदों एवं विधायकों के अनुरोध पर यह घोषणा की गई थी।
सोरेन ने कहा, ‘‘मैं भाजपा सांसदों, विधायकों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए वार्ता कर रहा था। उन्होंने स्वयं कहा कि लॉकडाउन के कारण लोगों को कफन का प्रबंधन करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।’’
भाजपा ने मुफ्त कफन बांटने के सोरेन के बयान की निंदा की थी और कहा था कि उन्हें दवाइयां मुफ्त बांटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
भाषा
सिम्मी नरेश
नरेश
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