आइजोल, 25 दिसंबर (भाषा) मिजोरम में सोमवार को पारंपरिक तरीके से क्रिसमस का त्योहार मनाया गया।
विभिन्न समुदायों के गिरजाघरों ने क्रिसमस के अवसर पर विशेष प्रार्थना सभाओं और सामूहिक गायन ‘जैखौम’का आयोजन किया। गिरजाघरों में शाम को भी इसी प्रकार की प्रार्थना सभाओं का और रात को ‘जैखौम’ का आयोजन किया जाएगा।
क्रिसमस की पूर्व संध्या पर ही लोगों ने प्रार्थना सभाओं और सामूहिक गायन का आयोजन कर उत्सव मनाना शुरू कर दिया था।
क्रिसमस के मौके पर सोमवार को भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान गिरजाघरों में प्रार्थना सभा, यीशु के जन्म पर उपदेश और सामूहिक गायन का आयोजन किया गया।
अधिकतर गिरजाघर क्रिसमस समारोह का अभिन्न अंग मानी जाने वाली सामुदायिक दावतें मंगलवार को आयोजित करेंगे, लेकिन कुछ गिरजाघरों ने सोमवार को भी सामुदायिक दावतों का आयोजन किया।
राज्य सरकार ने शांतिपूर्ण और प्रदूषण मुक्त उत्सव सुनिश्चित करने के लिए आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
पुलिस के मुताबिक, सोमवार को राज्य में कहीं से भी कानून-व्यवस्था की किसी प्रकार की समस्या की शिकायत नहीं मिली है।
कई गैर सरकारी संगठनों, राजनीतिक दलों और गिरजाघरों ने क्रिसमस से पहले अनाथालयों, पुनर्वास केंद्रों और गरीब परिवारों को नकदी और अन्य सामग्री दान की।
मिजोरम में 1994 में राज्य में ईसाई धर्म के आगमन की शताब्दी मनाई थी। यहां क्रिसमस धर्म और परंपराओं का मिश्रण है। धर्मातरण कर चुके मिजो लोग जश्न मनाने के अंग्रेजी तरीके के बावजूद अपनी परंपराओं के अनुरूप क्रिसमस मनाते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, मिजोरम की धरती पर पहली बार क्रिसमस का त्योहार 1871 में मिजो लोगों द्वारा नहीं, बल्कि वर्तमान मिजोरम-मणिपुर सीमा पर तुईवई नदी के पास आक्रमणकारी औपनिवेशिक ब्रिटिश सैनिकों ने मनाया था। इस जश्न के दौरान मिजो योद्धाओं ने ब्रिटिश सैनिकों पर हमला कर दिया था।
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश
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