नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) एक नए शोध से पता चला है कि सदी के मध्य तक जलवायु परिवर्तन जैव विविधता में गिरावट का मुख्य कारण बन सकता है।
भूमि-उपयोग के तौर-तरीकों में बदलाव और जैव विविधता पर उनके प्रभावों का अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि दुनिया भर में जैव विविधता में दो से 11 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च (आईडीआईवी) के अनुसंधान समूह प्रमुख और ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुख्य लेखक हेनरिक परेरा ने कहा, “अपने प्रारूप में सभी विश्व क्षेत्रों को शामिल करके, हमने कई ऐसे स्थानों को भी शामिल किया जो पूर्व में इस दायरे से बाहर थे तथा खंडित एवं संभावित पक्षपाती आंकड़ों के साथ काम करने वाले अन्य दृष्टिकोणों की आलोचना को दुरुस्त किया।”
भविष्य में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र कैसे विकसित हो सकते हैं, इसकी जांच करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि भूमि उपयोग परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव से उत्सर्जन परिदृश्य से इतर सभी वैश्विक क्षेत्रों में जैव विविधता का नुकसान होता है।
अध्ययन के सह-लेखक व ऑस्ट्रिया के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम एनालिसिस (आईआईएएसए) के शोधकर्ता डेविड लेक्लेर ने समझाया, “हमने पाया कि जलवायु परिवर्तन जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए एक आसन्न खतरा पैदा करता है। भूमि-उपयोग परिवर्तन ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण कारक रहा है, हमारे निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन सदी के मध्य तक जैव विविधता के नुकसान के प्राथमिक कारक के रूप में इससे आगे निकल सकता है।”
शोधकर्ताओं ने आने वाले दशकों में नीतियों के बीच टकराव को कम करने और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थिरता पहलुओं पर विचार करते हुए “वास्तव में एकीकृत दृष्टिकोण” अपनाने का आह्वान किया।
अध्ययन के सह-लेखकों में से एक, आईआईएएसए जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधन कार्यक्रम निदेशक पेट्र हैवलिक ने कहा, “उदाहरण के लिए, जैव-ऊर्जा परिनियोजन अब भी अधिकांश जलवायु स्थिरीकरण परिदृश्यों का एक महत्वपूर्ण तत्व है, यह प्रजातियों के आवासों के लिए भी खतरा पैदा करता है।”
लेखकों ने कहा कि निष्कर्षों ने सुझाव दिया कि आवश्यक प्राकृतिक जलवायु समाधान के रूप में संरक्षण और बहाली के प्रयासों को विश्व स्तर पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
भाषा प्रशांत माधव
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