कांग्रेस का वजूद वेंटिलेटर पर, इसके नेताओं की ‘बेवकूफी’ एक्सेलरेटर पर: नकवी |

कांग्रेस का वजूद वेंटिलेटर पर, इसके नेताओं की ‘बेवकूफी’ एक्सेलरेटर पर: नकवी

कांग्रेस का वजूद वेंटिलेटर पर, इसके नेताओं की ‘बेवकूफी’ एक्सेलरेटर पर: नकवी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : May 23, 2022/1:56 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से लंदन में की गई टिप्पणी को लेकर उन पर पलटवार करते हुए सोमवार को कहा कि कांग्रेस का वजूद ‘वेंटिलेटर’ (जीवन रक्षक प्रणाली) पर है, लेकिन इसके नेताओं की ‘बेवकूफी’ एक्सेलरेटर पर है।

उन्होंने यह दावा भी किया कि कांग्रेस के नेता विदेश जाकर देश को बदनाम कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गत शुक्रवार को मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा था कि पाकिस्तान की तरह ही भारत में भी ‘‘अदृश्य ताकतें’’ देश को खोखला कर रही हैं।

उन्होंने लंदन में ‘थिंक टैंक’ (विचारक संस्था) ब्रिज इंडिया द्वारा आयोजित ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन के एक संवाद-सत्र में यह दावा भी किया था कि भारत की आत्मा पर भाजपा का हमला हो रहा है और ‘बिना आवाज की आत्मा का कोई मतलब नहीं है तथा जो हुआ है वह यह है कि भारत की आवाज को कुचल दिया गया है।’

राहुल गांधी के बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता नकवी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस की इसी ‘विकार धारा’ ने कभी मुल्क की पार्टी कहे जाने वाले दल को ऐसा बना दिया जिसकी पूछ मोहल्ले में भी नहीं है। आज कांग्रेस का वजूद वेंटीलेटर पर है फिर भी इनके नेताओं की बेवकूफी एक्‍सेलरेटर (तेज रफ्तार) पर है।’’

नकवी ने कहा कि इसी ‘विकार धारा’ का नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की सनक, भारत को बदनाम करने की साजिश में बदल गई है।

उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘फैमिली फोटो फ्रेम में फिक्स’ कांग्रेस में पलायन प्रोग्राम उनकी नीतियों से ज्यादा उनके नेतृत्व की “बेवकूफी और विवेकशून्यता” का नतीजा है।

नकवी ने कहा, ‘‘कांग्रेस के नेता विदेश जा कर भारत को बदनाम करते हैं। भारत की तुलना पाकिस्तान, श्रीलंका या किसी अन्य देश से करते हैं, तो कभी देश में डर और नफरत हो गयी है की बयान बहादुरी कर देश की संस्कृति-संस्कार-सहिष्णुता एवं शक्ति को धूमिल करने के पाखंडी प्रोग्राम का संचालन करते हैं जो इनकी ऐसी ही विवेकशून्यता और विकार-धारा का परिणाम है।’’

भाषा हक

हक प्रशांत

प्रशांत

 

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