कांग्रेस, वामपंथी, अन्य दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए: स्टालिन |

कांग्रेस, वामपंथी, अन्य दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए: स्टालिन

कांग्रेस, वामपंथी, अन्य दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना चाहिए: स्टालिन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:48 PM IST, Published Date : April 1, 2022/9:51 pm IST

(बरुण झा)

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन ने शुक्रवार को आह्वान किया कि कांग्रेस, वाम दलों और भाजपा का विरोध करने वाले सभी क्षेत्रीय दलों को केंद्र में सत्तारुढ़ दल का सामना करने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक मानसिकता को एक तरफ रख देना चाहिए और ‘भारत को बचाने के लिए एक साथ आना चाहिए।’

उन्होंने कांग्रेस से अखिल भारतीय स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ ‘सैद्धांतिक दोस्ती’ विकसित करने का भी आग्रह किया, जैसा कि तमिलनाडु में उनकी पार्टी के साथ है।

दिल्ली के अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान पीटीआई-भाषा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, स्टालिन ने कहा, ‘मेरी दलील है कि अगर हम भारत की विविधता, संघवाद, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, समानता, बंधुत्व, राज्य के अधिकार, शिक्षा अधिकारों को संरक्षित करना चाहते हैं, तो हम सभी को चाहिए कि हम व्यक्तिगत राजनीतिक मानसिकता को छोड़कर एकजुट हो जाएं।’

उन्होंने कहा, ‘सभी दलों को यह महसूस करना चाहिए कि एकता ही ताकत है। भारत को बचाने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए।’

पिछले साल मई में अन्नाद्रमुक के नेतृत्व वाले गठबंधन जिसमें भाजपा भी शामिल थी, को हराकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले 69 वर्षीय नेता ने कहा कि द्रमुक की भूमिका हमेशा राष्ट्रीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण रही है और यह हमेशा रहेगी।

राष्ट्रीय राजधानी में एक द्रमुक कार्यालय का उद्घाटन करने से एक दिन पहले, जहां विभिन्न दलों के शीर्ष नेताओं के बड़ी संख्या में उपस्थित होने की उम्मीद है, स्टालिन ने कहा, ‘राष्ट्रीय राजनीति में हमारा महत्व हमेशा रहा है। द्रमुक हमेशा वह पार्टी रही है जो खेलती है। देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कौन बन सकता है, इसमें अहम भूमिका है। द्रमुक अब संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है।’

उन्होंने इसे ‘भ्रामक’ करार दिया कि नए कार्यालय के उद्घाटन को राष्ट्रीय मंच पर द्रमुक की बढ़ती उपस्थिति के संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए।

स्टालिन ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि राज्य की राजनीति और राष्ट्रीय राजनीति में कोई अंतर है। राष्ट्रीय राजनीति राज्यों की राजनीति का मेल है। इसलिए दोनों को अलग नहीं किया जा सकता।’

कई मौकों पर भाजपा पर अपने मुखर हमले से जुड़े सवाल पर स्टालिन ने कहा, ‘भाजपा का विरोध करने का मतलब किसी राजनीतिक दल से कोई व्यक्तिगत नफरत नहीं है। आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए। हम भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हैं, व्यक्तिगत व्यक्तियों की नहीं … इसलिए हमारी सभी आलोचनाएं सैद्धांतिक हैं। हम इसे हमेशा करेंगे…किसी भी संदर्भ में।’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कुछ हलकों में चल रही इस राय के बारे में पूछे जाने पर कि कांग्रेस के पतन के कारण क्षेत्रीय दलों को भाजपा के खिलाफ नेतृत्व करना चाहिए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह राय कुछ राज्यों में सही हो सकती है, लेकिन कई राज्यों में भ्रामक होगी।’

उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए, भाजपा का विरोध करने वाले सभी राज्य स्तरीय दलों को कांग्रेस और वाम दलों से हाथ मिलाकर भाजपा के खिलाफ एक टीम बनानी चाहिए।’

स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी और उसके सहयोगियों ने तमिलनाडु में सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को लामबंद किया है और भाजपा को किनारे कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘हम सभी (सहयोगी) न केवल चुनावी अवधि के दौरान, बल्कि निर्वाचन क्षेत्रों को साझा करने वाले दलों के रूप में एक नीतिगत संबंध जारी रखते हैं। यही हमारी सफलता की नींव है। मेरी इच्छा है कि कांग्रेस को अखिल भारतीय स्तर पर इस तरह की सैद्धांतिक दोस्ती विकसित करनी चाहिए। मैंने अपने भाई राहुल गांधी को मंच पर रखते हुए यह कहा, जो तमिलनाडु में प्रचार करने आए थे। मैं फिर से कांग्रेस पार्टी से सभी राज्यों में ऐसी टीम के गठन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करता हूं।”

यह पूछे जाने पर कि वह भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे में कांग्रेस को कहां देखते हैं, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पार्टी उनकी सहयोगी है और दक्षिण में उसका अच्छा प्रतिनिधित्व है, स्टालिन ने कहा, ‘हमने किसी भी जरूरत के लिए कांग्रेस के साथ काम नहीं किया। हम एक साथ काम करते हैं। वैचारिक समझौतों के आधार पर।’

इस संबंध में कि सभी गैर-राजग दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि विपक्ष को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुयोग भाजपा के लिए एक चुनावी उपकरण के रूप में किया जा रहा है, उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि केंद्र सरकार राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपने अधिकार क्षेत्र वाले संगठनों का इस्तेमाल करती है। यह हर कोई जानता है – कभी परोक्ष रूप से तो कभी प्रत्यक्ष रूप से।’’

भाषा नेत्रपाल पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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