दिल्ली-एनसीआर में जीनोम संसाधन बैंकिंग के जरिए पक्षियों की दुर्लभ, लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण |

दिल्ली-एनसीआर में जीनोम संसाधन बैंकिंग के जरिए पक्षियों की दुर्लभ, लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण

दिल्ली-एनसीआर में जीनोम संसाधन बैंकिंग के जरिए पक्षियों की दुर्लभ, लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:50 PM IST, Published Date : May 8, 2022/4:59 pm IST

( गौरव सैनी )

दिल्ली, आठ मई (भाषा) दिल्ली-एनसीआर में अधिकारियों ने सरोगेट प्रजातियों का उपयोग करके चुनिंदा दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त (आरईटी) पक्षियों की प्रजातियों के प्रजनन और उनके संरक्षण के लिए तरीके विकसित करने तथा एक अत्याधुनिक जीनोम संसाधन बैंकिंग केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।

जीनोम संसाधन बैंकिंग के जरिए संकटग्रस्त प्रजातियों के प्रजनन कार्यक्रम के उद्देश्य से उनकी प्रजनन कोशिकाओं और भ्रूण का भंडारण किया जाएगा।

सालिम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (सैकॉन) ने अगले 10 वर्षों में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पक्षियों की विविधता, उनके पारिस्थितिक तंत्र, आवास और परिदृश्य के संरक्षण के लिए एक मसौदा कार्य योजना तैयार की है।

दिल्ली-एनसीआर के लिए कार्य योजना एक व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें पांच क्षेत्रों – उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और मध्य के 17 राज्यों को शामिल किया गया है। इसे पिछले महीने दिल्ली वन और वन्यजीव विभाग के साथ साझा किया गया था।

दिल्ली-एनसीआर में भारत में पाई जाने वाली पक्षियों की कुल प्रजातियों का लगभग एक तिहाई हिस्सा पाया जाता है। 1970 के बाद से इस क्षेत्र में दर्ज की गईं पक्षियों की कुल 446 प्रजातियों में से 63 को दुर्लभ, संकटग्रस्त और लुप्तप्राय (आरईटी) माना जाता है।

20 आरईटी प्रजातियों सहित आर्द्रभूमि पक्षियों पर ध्यान केंद्रित करने वाले अध्ययनों ने यमुना में उच्च प्रदूषण, प्रवाह के अवरुद्ध होने और इमारतों आदि के रूप में पक्षियों के आवासों पर अतिक्रमण सहित कई संरक्षण मुद्दों पर प्रकाश डाला है।

सैकॉन दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के वन और वन्यजीव विभागों के साथ लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए संभावित खतरों का अध्ययन करेगा, उनकी आबादी को बहाल करने के लिए आवश्यक संरक्षण उपायों का आकलन करेगा और यदि आवश्यक हो तो उन्हें उनके मूल पर्यावास में फिर से भेजने का काम करेगा।

मसौदा योजना ‘‘सरोगेट प्रजातियों का उपयोग करके चुनिंदा आरईटी पक्षी प्रजातियों के प्रजनन एवं संरक्षण के लिए विकासशील तरीकों और आरईटी पक्षी प्रजातियों से क्रायोबैंकिंग व्यवहार्य बायोमैटिरियल्स के जरिए एक अत्याधुनिक जीनोम संसाधन बैंकिंग केंद्र’’ पर जोर देती है।

इसमें कहा गया है कि लंबी अवधि में चुनिंदा आरईटी पक्षी प्रजातियों के संपूर्ण-जीनोम अनुक्रमण होंगे। ब्रिस्टल्ड ग्रासबर्ड, सारस क्रेन, इंडियन स्किमर, ब्लैक-बेलिड टर्न, व्हाइट-रंप्ड वल्चर (गिद्ध), इजिप्टियन वल्चर, स्टेपी ईगल और फिश ईगल जैसी आरईटी प्रजातियों के लिए ‘‘प्रजाति पुनर्प्राप्ति योजना’’ तैयार की जाएगी।

यहां पाई जाने वाली सामान्य पक्षी प्रजातियों में छोटे जलकाग, कैटल इग्रेट, ग्रे फ्रेंकोलिन, कॉपरस्मिथ बारबेट, अलेक्जेंड्रिन पैराकीट, चित्तीदार उल्लू, चित्तीदार कबूतर, जंगल प्रिनिया, रेड विस्कर्ड बुलबुल और रॉक कबूतर शामिल हैं।

प्रवासी पक्षी प्रजातियां जैसे ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, फेरुगिनस डक, ग्रेलेग गीज, बार-हेडेड गीज, कॉमन टील, नॉर्दर्न शॉवेलर, यूरेशियन विजन, यूरेशियन कूट और स्थानीय मूवमेंट वाली प्रजातियां जैसे पेंटेड स्टॉर्क, वूली-नेक्ड स्टॉर्क, रिवर लैपविंग, ब्लैक-हेडेड एनसीआर में आइबिस और ओरिएंटल डार्टर भी पाई जाती हैं। अति लुप्तप्राय प्रजाति लाल सिर वाले गिद्ध को हाल में इस क्षेत्र में देखा गया है।

भाषा सुरभि वैभव

वैभव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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