अदालत अभियोजन पक्ष का आशुलिपिक नहीं हो सकती : उमर खालिद के वकील ने कहा |

अदालत अभियोजन पक्ष का आशुलिपिक नहीं हो सकती : उमर खालिद के वकील ने कहा

अदालत अभियोजन पक्ष का आशुलिपिक नहीं हो सकती : उमर खालिद के वकील ने कहा

:   Modified Date:  March 21, 2024 / 08:23 PM IST, Published Date : March 21, 2024/8:23 pm IST

नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) दिल्ली दंगे 2020 के सिलसिले में जेल में बंद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत अर्जी पर बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान उसके वकील ने कहा कि अदालत अभियोजन पक्ष का आशुलिपिक नहीं हो सकती और उसे आरोपों की विस्तृत समीक्षा करने के दौरान अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।

खालिद 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली सांप्रदायिक दंगों की कथित तौर पर वृहद साजिश रचने का आरोपी है। उस पर कड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

बचाव पक्ष के वकील ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की अदालत के समक्ष जेएनयू के पूर्व छात्र को नियमित जमानत देने के लिए एक नए आवेदन पर अपनी दलीलें पेश की।

वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पाइस ने कहा कि अभियुक्त के अपराध के लिए प्रथम दृष्टया परीक्षण तब तक नहीं होगा जब तक कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य ‘प्रमाणिक’ न हो।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत को साक्ष्य की प्रमाणिकता को लेकर संतुष्ट होना चाहिए। किसी आतंकवादी कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है…. अदालत अभियोजन पक्ष का आशुलिपिक नहीं हो सकती…. किसी भी बयान के परिणामस्वरूप मेरे लिए जिम्मेदार किसी भी चीज की बरामदगी नहीं हुई है।’’

बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि जुलाई 2023 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के कारण परिस्थितियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ताओं वर्नोन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा इस आधार पर जमानत दे दी कि वे पांच साल से हिरासत में थे।

उन्होंने कहा, ‘‘समय भी एक बदली हुई परिस्थिति है। उनकी आगे की कैद परिस्थितियों में बदलाव का संकेत देती है।’’

खालिद के वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोप पत्र में कई कथित अपराध बिना गवाहों के हैं और सिर्फ व्हाट्सएप समूह का हिस्सा होने से वह आरोपी नहीं बन जाते।

उन्होंने आरोप पत्र का हवाला देते हुए कहा कि खालिद ने कथित तौर पर शरजील इमाम को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में युवाओं को ‘चक्का जाम’ के लिए जुटाने का निर्देश दिया था।

बचाव पक्ष के वकील ने कहा, ‘‘यह अभियोजन का आधारहीन आकलन है…. आरोपपत्र तैयार करने वाले की कोरी कल्पना। इसका कोई गवाह भी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आपका (अदालत का) कर्तव्य है कि आप अपने विवेक का इस्तेमाल करें और आरोपों को विस्तार से देखें।’’

अभियोजन पक्ष द्वारा तीन अप्रैल को जमानत याचिका के खिलाफ अपनी दलीलें शुरू करने की संभावना है।

भाषा धीरज माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)