नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली का मामला निरस्त करने की शर्त के तहत उसे दो महीने तक एक बालिका विद्यालय में सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने जबरन वसूली के मामले में शिकायतकर्ता वकील को दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति (डीएचसीएलएससी) के कार्यालय में रिपोर्ट करने और तीन महीनों तक अपनी बेहतर क्षमता का इस्तेमाल करते हुए नि:शुल्क मुकदमा लड़ने को कहा है।
ये भी पढ़ें- नशा मुक्ति अभियान में गरजे शिवराज, हुक्का लाउंज पर बुलडोजर चलाने की कही बात
इसने प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शिकायतकर्ता पर मुकदमा चलाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा, क्योंकि दोनों पक्ष समझौता कर चुके हैं और आपसी विवाद को खत्म करना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, ‘‘हालांकि, मेरा विचार है कि पुलिस और न्यायपालिका का काफी समय बर्बाद हो गया है। दोनों पक्षों की वजह से पुलिस तंत्र का काफी समय इस मामले में खराब हुआ है, जिसका इस्तेमाल महत्वपूर्ण मामलों में किया जा सकता था। इसलिए दोनों पक्षों को कुछ अच्छे सामाजिक कार्य करने चाहिए।’’
ये भी पढ़ें- “इस्लाम में शराब को हराम बताया है तो श्रीमदभगवतगीता में शराब पीना लिखा है क्या?” जानें किसने कही ये बात
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इस नजरिये से याचिकाकर्ता (महिला) द्वारा लड़कियों के स्कूल में सैनिटरी नैपकिन बांटने की शर्त के तहत प्राथमिकी रद्द की जाती है, जिसकी पहचान अभियोजक द्वारा की जाएगी। महिला दो महीने तक छठी से बारहवीं कक्षा की कम से कम 100 छात्राओं को नैपकिन बांटेगी।
महिला ने कथित जबरन वसूली और आपराधिक धमकी को लेकर वकील द्वारा प्रीत विहार पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने की मांग की थी।
असम की पांच लोकसभा सीटों पर सुबह 11 बजे तक…
19 mins agoAaj Ka Current Affairs 26 April : यहां पढ़े आज…
25 mins ago