अदालत ने धरोहर पेड़ों को क्षति को लेकर अवमानना याचिका पर दिल्ली के अधिकारियों से जवाब मांगा |

अदालत ने धरोहर पेड़ों को क्षति को लेकर अवमानना याचिका पर दिल्ली के अधिकारियों से जवाब मांगा

अदालत ने धरोहर पेड़ों को क्षति को लेकर अवमानना याचिका पर दिल्ली के अधिकारियों से जवाब मांगा

:   Modified Date:  October 19, 2023 / 08:37 PM IST, Published Date : October 19, 2023/8:37 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस याचिका पर दिल्ली सरकार के तीन अधिकारियों से जवाब मांगा, जिसमें एक सड़क को चौड़ा करने के लिए करीब एक सदी पुराने ‘धरोहर’ पेड़ों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों का कदम उन न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है, जो सरकारी विभागों को परियोजनाएं शुरू करते समय पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बाध्य करते हैं और पेड़ काटने की अनुमति देते समय वृक्ष अधिकारी को कारण बताने की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने घटना को चौंकाने वाली स्थिति बताते हुए अवमानना याचिका पर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और वन विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किया और उन्हें यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘यह (पेड़ों को क्षति पहुंचाना) चौंकाने वाली स्थिति दर्शाता है क्योंकि 100 साल से अधिक पुराने पेड़ों को बिना सोचे विचारे और निर्देशों का पालन किए बिना काट दिया गया।’’

अदालत ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें.. इस बीच, प्रतिवादियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया जाता है।’ अदालत ने मामले को 15 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

याचिकाकर्ता रोहित भटनागर की ओर से अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद पेश हुए थे। याचिकाकर्ता ने याचिका में आरोप लगाया कि इस महीने की शुरुआत में लोक मार्ग/ओम मंदिर मार्ग के किनारे कई पेड़ों के ‘मुख्य तने को छोड़कर बाकी सब कुछ काट दिया गया’’ और लगभग 15 ऐसे पेड़ ‘काटे जाने वाले थे’ क्योंकि सड़क को चौड़ा करने के लिए वन विभाग के एक आदेश के अनुसार उन्हें हटाने की अनुमति दी गई थी।

याचिका में कहा गया है, ‘‘ये पेड़ ‘धरोहर वृक्ष’ हैं, क्योंकि इन्हें औपनिवेशिक काल के दौरान किंग्सवे कैंप से कोरोनेशन पिलर तक लगाया गया था। कोरोनेशन पिलर क्षेत्र वह स्थान है जहां 1877 का दिल्ली दरबार आयोजित हुआ था। दिल्ली में ‘धरोहर वृक्षों’ की पहचान करने की कोई नीति नहीं है, फिर भी ऐसे वृक्षों को संरक्षित करने की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’’

याचिका में कहा गया है, ‘‘उक्त कटाई आदेश में इस बात का कोई विवरण नहीं है कि पेड़ों को क्यों काटा जा रहा है और क्या इस माननीय अदालत के उपरोक्त आदेशों के अनुपालन के लिए उन्हें बचाने की संभावना तलाशी गई थी।’’

भाषा अमित नरेश

नरेश

 

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