नई दिल्ली: Biporjoy Cyclone News in Hindi अरब सागर में उत्पन्न हुए चक्रवात बिपारजॉय प्रचंड चक्रवात का रूप ले लिया है। बिपारजॉय के प्रभाव पूरे भारत में देखने को मिल रहा है। देश में उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर जगह मौसम में बदलाव देखने के लिए मिल रही है। वहीं, मौसम विभाग ने गुजरात, मुंबई सहित देश के कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार गुजरात, बंगाल सहित कई राज्यों में मूसलाधार बारिश होगी और करीब 150 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। चक्रवाती तूफान बिरजॉय ने साल 1998 में आई भयंकर तूफान की याद ताजा कर दी है। इस तूफान को यादकर आज भी गुजरात के लोगों की रूह कांप जाती है। आंकड़ों की मानें तो तबाही ने देशभर में 10000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित गुजरात का कांडला पोर्ट और कच्च हुआ था। तो चलिए जानते हैं क्या हुआ था 1998 में?
Biporjoy Cyclone News in Hindi दरअसल, 4 जून 1998 से भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) अरब सागर के ऊपर चक्रवात की निगरानी कर रहा था। लेकिन बिगड़ते हालात को देखते हुए मौसम विभाग ने 7 जून को अलर्ट जारी करते हुए सौराष्ट्र और कच्छ, कांडला के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी। मौसम विभाग ने न सिर्फ स्थानीय लोगों को चेतावनी दी थी, बल्कि प्रशासन को भी लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए कहा था। ठीक इसके अगली सुबह आईएमडी ने एक और खतरे का संकेत जारी किया, इस बार कांडला बंदरगाह के लिए। लेकिन जब तक सरकार की मदद पहुंच पाती, हजारों लोगों की मौत हो चुकी थी। इस भयावह तूफान की रफ्तार तब 165 किलोमीटर प्रतिघंटा थी।
वहीं, 9 जून 1998 एक सामान्य दिन की तरह शुरू हुआ था। लेकिन जैसे-जैसे समय बितता गया वैसे वैसे समुद्री तूफान विकराल रूप लेता गया। काली घटाओं ने भी आसमान को पूरी तरह ढक दिया था। फिर शुरू हुआ तबाही को वो मंजर जिसे यादकर आज भी लोगों की आंखों में आंसू आ जाते हैं। अचानक अंधेरा छा गया है और तेज हवाओं के साथ बिजली चमकने लगी।
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अगले छह घंटे में कांडला में सिर्फ बारिश ही नहीं हुई बल्कि इतनी तेजी से बारिश हुई कि बाढ़ का पानी बंदरगाह श्रमिकों के निवास वाले विशाल क्षेत्रों में फैल गया। समुद्र का पानी बढ़ता देख लोग बच्चे-बुजुर्गों को लेकर ऊंचे स्थानों पर भागने लगे। आलम ऐसा था कि कच्छ शहर के कांडला पोर्ट और उसके आस-पास के गावों में मौत का तांडव चल रहा था। तबाही इतनी भयंकर कि किसी का भी दिल सिहर जाए। शहर लाशों से भरा हुआ था। ट्रक अस्पतालों में शवों को डंप कर रहे थे। शवों के अंबार की वजह से जल्द ही अस्पतालों की लॉबी और वेटिंग रूम मुर्दाघर में बदल गए। शहर के चारों ओर सामूहिक चिताएं जलाई जा रही थीं, ताकि अनगिनत सड़ी-गली लाशों को संभाला जा सके।
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बताया जाता है कि 1998 के तूफान ने इतनी भयंकर तबाही मचाई थी कि 15 जहाज समुद्र में ही समा गए। हवाएं और समुद्र की लहीरें इतनी तेजी थी कि दो जहाज नेलशन हाईवे पर आकर गिरे। सिर्फ कांडला ही नहीं, बल्कि जामनगर, जूनागढ़ और राजकोट जैसे शहरों में भी इसी तरह की बदहाली और लाचारी की तस्वीर दिखाई दे सकती थी। घरों के ढहने, झोपड़ियों और वाहनों के बह जाने और अन्य बुनियादी ढांचे के नष्ट होने की सही संख्या का पता नहीं चल पाया। इस तूफान से देशभर में करीब 10 हजार लोगों की मौत हुई, अकेले गुजरात में 1173 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
इस बार भी आईएमडी ने बिपरजॉय के लिए गुजरात के कई जगहों पर तबाही को लेकर अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग की मानें तो बिपरजॉय 15 जून तक गुजरात के तटीय इलाकों में पहुंच सकती है। हालांकि इसके और भी अधिक गंभीर होने की चिंता है। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद गुजरात सरकार ने तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने का काम कल से जारी रखा हुआ है।
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