नयी दिल्ली, 31 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय को बृहस्पतिवार को बताया गया कि बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 लागू हो गया है और इसके प्रावधान 126 वर्ष पुराने मुल्लापेरियार बांध से जुड़े विषय में गतिरोध दूर करने के रास्ते हो सकते हैं।
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को एक नोट दाखिल कर समय सीमा के बारे में और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण के कामकाज शुरू करने के बारे में विस्तार से जानकारी देने को कहा है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ मुल्लापेरियार बांध से जुड़े मुद्दे से उत्पन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। यह बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था।
पीठ में न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार भी शामिल हैं।
अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने केंद्रीय जल आयोग और निगरानी समिति की ओर से पेश होते हुए पीठ को बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के बारे में बताया और कहा कि विधान लागू हो गया है।
एएसजी ने कहा कि अधिनियम सभी बांधों के लिए है लेकिन यह उस स्थिति के लिए भी है जहां बांध का स्वामित्व किसी अन्य राज्य के पास है और वह बांध किसी अन्य राज्य में स्थित है।
उन्होंने दलील दी कि राष्ट्रीय बांध प्राधिकरण मुल्लापेरियार बांध मुद्दे के लिए एक संबद्ध प्राधिकार होगा।
पीठ ने कहा कि वह चाहती है कि केंद्र समय सीमा के बारे में विवरण देते हुए एक नोट दाखिल करे। पीठ ने विषय की सुनवाई पांच अप्रैल के लिए निर्धारित कर दी।
भाषा
सुभाष नरेश
नरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)