दिल्ली दंगों की जांच की स्थिति जानने को लेकर आरोपियों की अर्जियां सुनवाई योग्य नहीं: अभियोजन |

दिल्ली दंगों की जांच की स्थिति जानने को लेकर आरोपियों की अर्जियां सुनवाई योग्य नहीं: अभियोजन

दिल्ली दंगों की जांच की स्थिति जानने को लेकर आरोपियों की अर्जियां सुनवाई योग्य नहीं: अभियोजन

:   Modified Date:  September 22, 2023 / 03:35 PM IST, Published Date : September 22, 2023/3:35 pm IST

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) उत्तर पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों का षड्यंत्र रचने के कुछ आरोपियों द्वारा दायर अर्जियों पर अपनी अंतिम दलीलें पेश करते हुए अभियोजन पक्ष ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में जांच की स्थिति बताए जाने का अनुरोध करने वाली ये अर्जियां सुनवाई योग्य नहीं हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आगे की सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की, जिस दिन आरोपियों के वकील की ओर से दलीलें पेश की जाएंगी।

विशेष सरकारी अभियोजक अमित प्रसाद ने सुनवाई के दौरान एक फैसले का जिक्र किया और कहा, ‘‘थोड़ा अलग, लेकिन एक ऐसा मान्य नियम भी है, जिसमें एक निश्चित कार्य को एक निश्चित तरीके से करने की शक्ति दी जाती है, ऐसे में उस कार्य को या तो निर्दिष्ट तरीके से किया जाना चाहिए या बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए। कार्य करने के अन्य तरीके आवश्यक रूप से निषिद्ध हैं।’’

उन्होंने कहा कि कानून का यह स्थापित सिद्धांत है और उच्चतम न्यायालय तथा अन्य सभी अदालतें इसका लगातार पालन कर रही हैं।

प्रसाद ने कहा, ‘‘इसलिए जब इस अर्जी के तहत आरोपियों को अधिकार नहीं दिया गया है, तो वे नई प्रक्रिया नहीं बना सकते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब तक वे (आरोपियों के वकील) यह साबित नहीं कर देते कि अर्जी सुनवाई योग्य है, वे इससे आगे नहीं बढ़ सकते, इसलिए मैं इसके सुनवाई योग्य होने या न होने के दायरे से परे दलीलें नहीं दे पाऊंगा।’’

प्रसाद ने कहा कि जहां तक यह तय करने की बात है कि यह मामला आगे सुनवाई के लिए उपयुक्त है या नहीं, तो आरोपों पर बहस शुरू होने पर अभियोजन पक्ष इसे अदालत के समक्ष पेश करेगा।

न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘यदि अदालत यह प्रश्न पूछती है कि क्या यह मामला आरोप के बिंदु पर बहस के लिए उपयुक्त है, तो क्या आप आरोप पर दलीलें पेश करते समय जवाब देंगे?’’

प्रसाद ने ‘‘हां’’ में जवाब दिया और कहा कि वह ‘‘आरोपपत्र से यह दिखाएंगे कि चीजें किस तरह सामने आई हैं और कई आरोपपत्र क्यों पेश किए गए हैं तथा ये आरोपपत्र कैसे (एक दूसरे से) मेल नहीं खाते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ये सभी चीजें मुझे अदालत को दिखानी है और मैं आरोपों पर बहस के दौरान इन्हें साबित करुंगा। आज, इन अर्जियों के माध्यम से आरोप पर बहस को रोकने की अनुमति नहीं है।’’

बहरहाल, एक आरोपी के वकील ने कहा कि खंडन के लिए दलीलें पेश करने से पहले अभियोजन पक्ष को कुछ पहलुओं को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कैसे संभव है कि अभियोजन पक्ष मई में (जारी) इस अदालत के निर्देश का जवाब न दे? यह कैसे हो सकता है कि वह अदालत के इस सवाल का जवाब न दे — ‘क्या साजिश खत्म हो गई है?’… ऐसा कैसे है कि अभियोजन पक्ष इस पहलू का जवाब नहीं दे कि अगर पूरक आरोप पत्र दायर किया जाता है तो मुकदमे में क्या होगा? अगर यह (पूरक आरोप पत्र) आएगा (दायर किया जाएगा), तो वे क्या करेंगे?”

इस बीच, न्यायाधीश ने कहा कि कार्यवाही के सवाल-जवाब का सत्र बनने से रोकने के लिए अदालत अंत में अभियोजन पक्ष और अभियुक्तों से अपने प्रश्न पूछेगी।

इससे पहले, मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने इन अर्जियों को ‘महत्वहीन’, ‘अव्यवहार्य’ और ‘अनुमानों पर आधारित’ बताया था।

ये अर्जियां आरोपियों- देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, आसिफ इकबाल तन्हा, मीरान हैदर और अतहर खान ने दायर की हैं।

इन दंगों के ‘‘मुख्य साजिशकर्ता’’ होने के आरोप में इन आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।

ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे।

भाषा

सिम्मी सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)