किसानों को उनकी आजीविका, संपत्ति से वंचित करना संविधान का उल्लंघन: न्यायालय |

किसानों को उनकी आजीविका, संपत्ति से वंचित करना संविधान का उल्लंघन: न्यायालय

किसानों को उनकी आजीविका, संपत्ति से वंचित करना संविधान का उल्लंघन: न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : April 26, 2022/8:22 pm IST

नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कानून के अधिकार के बिना किसानों को उनकी आजीविका और संपत्ति से वंचित करना संविधान का उल्लंघन होगा।

न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने कहा कि सड़कों को चौड़ा करने के लिए किसानों को मुआवजा नहीं देने का कोई औचित्य नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘सड़क का निर्माण या चौड़ीकरण नि:संदेह एक सार्वजनिक उद्देश्य होगा, लेकिन मुआवजे का भुगतान न करने का कोई औचित्य नहीं है, प्रतिवादियों की कार्रवाई मनमानी, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 300 ए का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।’

शीर्ष अदालत का फैसला केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ आठ किसानों द्वारा दायर याचिका पर आया जिसमें उनकी अपील खारिज कर दी गई थी।

अपीलकर्ता विवादित भूमि के मालिक हैं, जिसकी माप 1.7078 हेक्टेयर है।

अपीलकर्ताओं के अनुसार, पंचायत ने उनसे सुल्तान बथेरी बाईपास सड़क के निर्माण या चौड़ीकरण के लिए उनकी भूमि का उपयोग करने का अनुरोध किया था और उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उन्हें भूमि के बदले पर्याप्त मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि हालांकि, सड़क के निर्माण के समय किसी भी मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया।

जब निर्माण चल रहा था और इसके पूरा होने के बाद भी अपीलकर्ताओं ने विभिन्न अभिवेदन किए, लेकिन जब उनके अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया गया तो उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता किसान हैं और इस मामले में उपयोग की गई भूमि कृषि भूमि थी।

इसने कहा, ‘यह उनकी आजीविका का हिस्सा थी। कानून के अधिकार के बिना उन्हें उनकी आजीविका और उनकी संपत्ति से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 300 ए का उल्लंघन होगा।’

शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 300 -ए हालांकि मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन इसे संवैधानिक या वैधानिक अधिकार होने का दर्जा प्राप्त है।

पीठ ने किसानों द्वारा दायर अपील को स्वीकार करते हुए कहा, ‘अगर पंचायत और लोक निर्माण विभाग कोई सबूत पेश करने में विफल रहे कि अपीलकर्ताओं ने स्वेच्छा से अपनी जमीन का समर्पण किया है, तो अपीलकर्ताओं को संपत्ति से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 300-ए का उल्लंघन होगा।’

भाषा नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)