नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका में बड़ा फैसला सुनाया है। वहीं बीमा कंपनियों को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस नकली होने के आधार पर बीमा कंपनियां क्लेम देने से इन्कार नहीं कर सकती है।
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दरअसल बीमा क्लेम को दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मोटर दुर्घटना से संबंधित एक मामले में कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस नकली होने के आधार पर बीमा कंपनी देय देने से बच नहीं सकती।
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बता दें कि एक मामले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण गाजियाबाद के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्राधिकरण ने मरने वाले व्यक्ति को 6 प्रतिशत ब्याज के साथ 12 लाख 70 हजार 406 रुपए की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया था। जबकि, याचिकाकर्ता बीमा कंपनी का यह दावा था कि यह रिकॉर्ड में है कि दुर्घटना ट्रक चालक की लापरवाही से हुई थी।
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इसके बाद यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि नियोक्ता से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह जारीकर्ता प्राधिकरण से ड्राइविंग लाइसेंस की वास्तविकता सत्यापित करें?
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कोर्ट में तर्क दिया गया था कि दुर्घटना के समय चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, ऐसे में कैसे क्लेम दिया जा सकता है। लेकिन कोर्ट ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम लेहरू और अन्य में 2003 में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए यह बीमा क्लेम देने का फैसला सुनाया।
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