एडिटर्स गिल्ड ने उत्तराखंड पुलिस से गिरफ्तार पत्रकार को तत्काल रिहा करने को कहा |

एडिटर्स गिल्ड ने उत्तराखंड पुलिस से गिरफ्तार पत्रकार को तत्काल रिहा करने को कहा

एडिटर्स गिल्ड ने उत्तराखंड पुलिस से गिरफ्तार पत्रकार को तत्काल रिहा करने को कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : March 3, 2022/8:45 pm IST

नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बृहस्पतिवार को एक पत्रकार की “तत्काल” रिहाई की मांग की, जिसे हाल ही में उत्तराखंड पुलिस ने जातियों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

संपादकों के निकाय ने कहा कि पुलिस ने समाचार पोर्टल ‘जंजवार’ के लिए काम करने वाले किशोर राम को 24 फरवरी को पिथौरागढ़ से भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए के तहत जातियों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

इसने एक बयान में कहा, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया न्यूज पोर्टल जंजवार के लिए काम करने वाले पत्रकार किशोर राम की उत्तराखंड पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी से बेहद व्यथित है।’

बयान में कहा गया, ‘‘जातियों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में राम को भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि राम कुछ समय से हाशिए पर पड़े वर्गों और निचली जातियों से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं।’’

गिल्ड ने उल्लेख किया कि राम के खिलाफ दो अलग-अलग घटनाओं पर रिपोर्टिंग को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी – एक घटना 13 फरवरी को एक दलित युवक की मौत से संबंधित है और दूसरी घटना 18 फरवरी को कम उम्र की दो दलित महिलाओं के बलात्कार से संबंधित है।

गिल्ड ने कहा कि दोनों मामलों में राम ने उन लोगों का साक्षात्कार लिया जो परिवार के सदस्यों सहित पीड़ितों को जानते थे और वीडियो वेबसाइट पर अपलोड किया था।

इसने कहा, ‘पुलिस ने अपनी शिकायत में राम पर परिवार के सदस्यों से लोगों की जाति पूछने और उच्च जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या के बारे में बोलने का आरोप लगाया है।’

गिल्ड ने कहा कि यह ‘बेहद चिंताजनक’ है कि केवल जाति आधारित अपराधों की रिपोर्टिंग को गिरफ्तारी के आधार के रूप में उद्धृत किया जा रहा है।

बयान में कहा गया, ‘एडिटर्स गिल्ड किशोर राम की तत्काल रिहाई की मांग करता है।’

गिल्ड ने राज्य प्रशासन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से ‘सामाजिक और जाति आधारित मुद्दों पर रिपोर्ट करने के पत्रकारों के अधिकार के खिलाफ धमकी के औजार’ के रूप में दंड कानूनों का उपयोग न करने का भी आग्रह किया।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)