ईवीएम कभी भाजपा तो कभी भाजपा विरोधियों के निशाने पर | EVM swings from credible to easy to hack because of two-faced Indian politics

ईवीएम कभी भाजपा तो कभी भाजपा विरोधियों के निशाने पर

ईवीएम कभी भाजपा तो कभी भाजपा विरोधियों के निशाने पर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : December 18, 2017/10:27 am IST

दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम हर चुनाव के दौरान निशाने पर आ जाती है। हर बार हारने वाली पार्टी ईवीएम पर अपनी-अपनी हार का ठीकरा फोड़ती हैं और जीतने वाली पार्टी इसे सही ठहराती हैं। अब ईवीएम को राजनीतिक दलों का सॉफ्ट टारगेट कहें या कुछ और, लेकिन सच यही है कि ईवीएम और इससे जुड़ा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा।

आज गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों के दिन भी ईवीएम टेंपरिंग के आरोप लगते रहे। यहां तक कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त को खुद बयान जारी करके भरोसा दिलाना पड़ा कि वीवीपैट लगाए गए हैं और ईवीएम से टेंपरिंग कोई कर ही नहीं सकता।

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आपको बता दें कि 2009 में जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार केंद्र में लगातार दूसरी बार बनी थी, तब तत्कालीन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार ईवीएम के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ईवीएम पर सवाल उठाने वाले पहले नेता थे। इसके बाद भाजपा ने ईवीएम के खिलाफ अपना संघर्ष तेज़ करते हुए तत्कालीन प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव की कितान डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन लिखी। इस किताब में आडवाणी, एनडीए घटक टीडीपी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के अलावा कुछ विशेषज्ञों के हवाले से भी ईवीएम को असुरक्षित बताया गया। सुब्रमण्यम स्वामी जैसे मौजूदा भाजपा नेताओं ने भी ईवीएम के इस्तेमाल का विरोध करते हुए इसे होलसेल फ्रॉड तक करार दे दिया था।

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मजेदार बात ये है कि 2014 चुनाव में जब कांग्रेस हारी और भाजपा सत्ता में आई तो ईवीएम के अपने पिछले चुनाव के विरोध पर भाजपा ने चुप्पी साध ली। इसके बाद भाजपा के शासन में हुए विधानसभा चुनावों खासकर उत्तर प्रदेश और अभी गुजरात में हुए चुनावों में ईवीएम हैकिंग, टेंपरिंग को लेकर समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी शिकायत कर रही है, जबकि भाजपा इसे विरोधियों की हताशा बताती रही है।

वेब डेस्क, IBC24