कार्यपालिका, न्यायपालिका अदालतों की ढांचागत जरूरतों को लेकर राज्य स्तरीय निकाय पर सहमत |

कार्यपालिका, न्यायपालिका अदालतों की ढांचागत जरूरतों को लेकर राज्य स्तरीय निकाय पर सहमत

कार्यपालिका, न्यायपालिका अदालतों की ढांचागत जरूरतों को लेकर राज्य स्तरीय निकाय पर सहमत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : April 30, 2022/10:43 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) कार्यपालिका और न्यायपालिका शनिवार को अदालतों की ढांचागत जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य स्तरीय निकायों के गठन पर सहमत हो गये।

मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के एक संयुक्त सम्मेलन में, भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा कि मुख्यमंत्रियों का व्यापक रूप से यह विचार था कि एक राष्ट्रीय निकाय के बजाय, राज्य-स्तरीय विशेष प्रयोजन निकायों को स्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें राजनीतिक प्रतिनिधित्व हो।

मुख्यमंत्री या उनके नामांकित व्यक्ति इस तरह के एक सेटअप का हिस्सा होंगे।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘विचार विमर्श के बाद मुख्यमंत्रियों के बीच लगभग एकराय बनी कि राज्यस्तर पर बुनियादी संरचना निकाय स्थापित किये जाएं, न कि राष्ट्रीय स्तर पर।’’

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हालांकि राज्य-स्तर पर निकाय में मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि को शामिल करने का मशविरा दिया गया था। ज्यादातर राज्यों ने इस मॉडल को लेकर अपनी रजामंदी दी।’’

न्यायमूर्ति रमण देश भर में अदालतों की ढांचागत जरूरतों से पर्याप्त रूप से निपटने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के निकायों की स्थापना के बारे में काफी मुखर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सम्मेलन में बुनियादी ढांचे और क्षमता निर्माण, अत्याधुनिक न्यायिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने और इसके लिए तंत्र को संस्थागत बनाने और कानूनी सुधारों पर विचार-विमर्श किया गया।

उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों ने राज्यों को ‘एकमुश्त उपाय’ के रूप में बुनियादी ढांचे के लिए धन देने पर विचार करने का अनुरोध किया।

सीजेआई ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा उपलब्ध कराये गये कोष में अंतर ‘‘अवरोधक साबित हो रहा है।’’

खाली पदों को भरे जाने के एक प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए सीजेआई ने कहा कि हर कोई उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में न्यायाधीशों की भर्ती और खाली पदों को भरे जाने में विलंब को लेकर चिंतित नजर आया।

उन्होंने जिला न्यायपालिका में न्यायिक अधिकारियों की संख्या चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमने पांच वर्षों से लंबित मुकदमों का निपटारा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।’’

भाषा सुरेश पवनेश

पवनेश

 

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