गुवाहाटी, 12 सितंबर (भाषा) असम विधानसभा ने भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या के मामलों पर रोक लगाने की मांग वाले एक निजी विधेयक को मंगलवार को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। वहीं राज्य सरकार ने कहा कि मौजूदा आपराधिक कानून की संबंधित धाराओं के साथ अपराधियों से निपटा जा रहा है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम ने सदन के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन ‘द असम मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल, 2023’ पेश किया।
इस्लाम ने हाल के वर्षों में राज्य में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की कई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं के बाद इसके खिलाफ कानून बनाने को लेकर हमेशा हाय-तौबा मचती है।
विपक्षी विधायक ने कहा कि प्रस्तावित कानून में इन घटनाओं को रोकने के साथ-साथ भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या की किसी भी घटना में शामिल सभी लोगों के लिए कारावास का प्रावधान होगा।
संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने प्रस्तावित विधेयक पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वीकार किया कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दे से संबंधित है, जिसमें भीड़ द्वारा पीटकर हत्या एक ऐसा मुद्दा है, जिसे कोई भी सभ्य व्यक्ति स्वीकार नहीं कर सकता।
उन्होंने बताया कि सरकार संबंधित कानून के अंतर्गत भीड़ द्वारा पीटकर हत्या के किसी भी मामले में संलिप्त हर एक व्यक्ति के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई कर रही है।
हजारिका ने कहा, ”हमारे पास पहले से ही भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या संबंधी मामलों से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता और दण्ड प्रक्रिया संहिता की विभिन्न धाराएं हैं। इसलिए हमें लगता है कि इससे निपटने के लिए किसी अलग विधेयक की जरूरत नहीं है।”
सदन के उपाध्यक्ष नुमोल मोमिन ने निजी विधेयक पर मतदान कराया, जिसे ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।
भाषा जितेंद्र नरेश
नरेश
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