Famous Bengali singer Sandhya Mukherjee passes away

संगीत जगत को दूसरा बड़ा झटका, सिंगर संध्या दीदी का निधन, सीएम ममता, PM हसीना ने जताया दुख

Famous Bengali singer Sandhya Mukherjee passes away : 91 वर्षीय गायिका के निधन के साथ ही उनके लाखों प्रशंसक शोक में डूब गए हैं..

Edited By :   Modified Date:  December 3, 2022 / 07:02 PM IST, Published Date : December 3, 2022/7:02 pm IST

कोलकाता। बंगाल की मशहूर शास्त्रीय गायिका संध्या मुखर्जी का मंगलवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 91 वर्षीय गायिका के निधन के साथ ही उनके लाखों प्रशंसक शोक में डूब गए हैं।

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अपने करियर में एस. डी. बर्मन, नौशाद और सलील चौधरी जैसे लोकप्रिय संगीत निर्देशकों के साथ काम करने वाली मुखर्जी का अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित तमाम लोगों ने गायिका के निधन पर शोक जताया।

अस्पताल के अधिकारी ने बताया कि मुखर्जी का निधन मंगलवार शाम करीब साढ़े सात बजे (7:30 बजे) हुआ।

अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि तबीयत खराब होने के कारण मुखर्जी 27 जनवरी से ही अस्पताल में भर्ती थीं। उन्होंने बताया कि गायिका को रक्तचाप बढ़ाने की दवा दी जा रही थी, इसके बावजूद रक्तचाप गिरने के कारण आज दिन में उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में ले जाया गया।

अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘शाम करीब साढ़े सात बजे (7:30 बजे) उन्हें दिल का दौरा पड़ा जिससे उनकी मृत्यु हो गई। अनियमित धड़कन के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका।’’

मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य के पूर्वोत्तर जिलों का अपना तीन दिवसीय दौरा बीच में ही खत्म कर गायिका के अंतिम संस्कार के लिए कोलकाता लौटेंगी। बनर्जी गायिका के काफी करीब हुआ करती थीं।

बनर्जी ने कहा कि गायिका के पार्थिव शरीर को बुधवार दोपहर से शाम पांच बजे तक ‘रविन्द्र सदन’ में रखा जाएगा ताकि उनके प्रशंसक अंतिम दर्शन कर सकें।

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बनर्जी ने कहा, ‘‘संध्या दी (दीदी) का अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मैं कल तक शहर लौटने का प्रयास करूंगी जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।’’

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुखर्जी के निधन पर शोक जताया और अपने संदेश में कहा कि ‘गीतश्री’ संध्या मुखर्जी ने ना सिर्फ पूरे प्रायद्वीप में ‘गानेर मुग्धता’ (गानों का जादू) बिखेरी बल्कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में उनकी भूमिका को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता।

भारत और बांग्लादेश में बांग्ला भाषा के लगभग सभी टीवी चैनल और रेडियो स्टेशन संध्या दीदी के गाने बजा रहे हैं और उनकी फिल्मों के क्लिप दिखा रहे हैं। गायिका के निधन की खबर फैलते ही सभी जगह उनके गाने बजाए और दिखाए जा रहे हैं।

कोलकाता में 1931 में जन्मीं मुखर्जी का निधन इस महीने संगीत जगत के लिए दूसरा बड़ा झटका है। कुछ ही दिन पहले स्वरकोकिला लता मंगेशकर का निधन हुआ है। संध्या मुखर्जी के परिवार में बेटी और दामाद हैं।

कोलकाता स्थित अपने आवास के बाथरूम में फिसलकर गिरने के एक दिन बाद उन्हें 27 जनवरी को सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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गायिका के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी और उनके विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, साथ ही गिरने के कारण बायें कुल्हे की हड्डी टूट गई थी। उनका इन बीमारियों का इलाज चल रहा था।

गायिका को ‘बंग बिभूषण’ और सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था। हालांकि उन्होंने इस साल गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा के लिए सरकार द्वारा संपर्क किए जाने पर पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार करने से मना कर दिया था।

मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए हिन्दुस्तानी संगीत के उस्ताद अजय चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है। हमारे लिए वह मां समान थीं। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि वह नहीं रहीं।’’

टॉलीवुड की अनुभवी अभिनेत्री माधबी मुखर्जी ने भी गायिका संध्या मुखर्जी को अपनी बड़ी बहन की तरह बताया। मुखर्जी ने अभिनेत्री के लिए तमाम हिट गाने गाये हैं।

अभिनेत्री ने कहा, ‘‘मेरा उनके साथ अलग ही संबंध रहा है। कभी वह बड़ी बहन की तरह होतीं, कभी वह मेरे लिए मां की तरह होतीं। मुझे अभी भी याद है जब हम साथ काम करते थे।’’

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गायिका उषा उत्थुप ने कहा कि मुखर्जी से उन्हें जो लगाव, प्रेम और समर्थन मिला है वह उनके जीवन के सबसे अच्छे पलों में से हैं।

उत्थुप ने कहा, ‘‘हमारे लिए वह मां जैसी थीं। मुझे उनसे जो प्रेम मिला है, वह मेरे जीवन के सबसे सुन्दर पलों में शामिल है।’’

मुखर्जी ने 1940 के दशक के उत्तरार्द्ध में संतोष कुमार बासु, ए. टी. कन्नान और चिन्मय लाहिरी से संगीत सीखना शुरू किया। उन्होंने पटियाला घराने में अपना औपचारिक प्रशिक्षण उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के मातहत किया। उनकी देखरेख में उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखा।

मुखर्जी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और तमाम अन्य कलाकारों के साथ मिलकर भारत में शरण ले रहे पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के एक करोड़ नागरिकों के लिए धन जुटाया। उन्होंने कोलकाता में निर्वासन में बनी बांग्लादेश की सरकार द्वारा शुरू किए गए रेडियो ‘स्वाधीन बांग्ला बेतार केन्द्र’ पर भी गीत गाये।