विदेशी मीडिया ने की भारत की छवि खराब करने की कोशिश, IIMC में 'पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज' विषय पर विमर्श का आयोजन | Foreign media tried to malign India's image, organized a discussion on the topic 'Coverage of Kovid-19 epidemic in India by Western media' at IIMC

विदेशी मीडिया ने की भारत की छवि खराब करने की कोशिश, IIMC में ‘पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज’ विषय पर विमर्श का आयोजन

विदेशी मीडिया ने की भारत की छवि खराब करने की कोशिश, IIMC में 'पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज' विषय पर विमर्श का आयोजन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : July 6, 2021/12:17 pm IST

नई दिल्ली, 6 जुलाई। ”भारत में कोरोना त्रासदी की विदेशी मीडिया द्वारा की गई कवरेज में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का अभाव रहा है। विदेशी मीडिया ने अपने देश की कोरोना कवरेज में संयम बरता था, लेकिन भारत में हो रही मौतों को उसने सनसनी के तौर पर प्रस्तुत किया।” यह विचार देश के प्रख्यात पत्रकारों एवं विद्वानों ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा मंगलवार को ”पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज” विषय पर आयोजित विमर्श में व्यक्त किए। इस मौके पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता, उमेश उपाध्याय, एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) की संपादक सुश्री स्मिता प्रकाश, एन.के. सिंह, सीएनएन न्यूज 18 के कार्यकारी संपादक आनंद नरसिम्हन, के.ए. बद्रीनाथ और पटकथा लेखक सुश्री अद्वैता काला ने अपने विचार व्यक्त किये। दूसरे सत्र में पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कौल, अमर उजाला (डिजिटल) के संपादक जयदीप कर्णिक, दैनिक पूर्वोदय (गुवाहाटी) के संपादक रविशंकर रवि, लेखिका सुश्री शेफाली वैद्य, आलमी सहारा (उर्दू) के संपादक लईक रिजवी, न्यूज 18 उर्दू के वरिष्ठ संपादक तहसीन मुनव्वर, वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल एवं आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने भाग लिया।

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प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक समाचार पत्र को अभिव्यक्ति की आजादी है। ये मीडिया का कर्तव्य है कि वो कोरोना संकट को कवर करे और हालात के बारे में लोगों को बताए, लेकिन इसकी आड़ में भारत को बदनाम करने का प्रयास विदेशी मीडिया को नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय मीडिया को पश्चिमी मीडिया द्वारा प्रकाशित किये जा रहे तथ्यों की जांच कर सत्य को सामने लाना चाहिए।

विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने कहा कि कोरोना काल में पश्चिमी मीडिया अपनी खबरों के माध्यम से भारत की गलत छवि प्रस्तुत कर रहा है। भारत में कोरोना वैक्सीनेशन से संबंधित जो आंकड़े विदेशी अखबारों में प्रकाशित हुए हैं, वो वास्तविकता से बहुत दूर हैं।

एशियन न्यूज इंटरनेशनल (एएनआई) की संपादक सुश्री स्मिता प्रकाश ने कहा कि कोविड की कवरेज के दौरान विदेशी मीडिया ने पत्रकारिता के मानदंडों का पालन नहीं किया। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने अपने एजेंडे के अनुसार भारत में मौजूदा कोरोना संकट को कवर किया है। वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने कहा कि पत्रकारिता का काम सत्य को सामने लाना है और मीडिया को ये काम पूरी ईमानदारी के साथ करना चाहिए।

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सीएनएन न्यूज 18 के कार्यकारी संपादक आनंद नरसिम्हन ने कहा कि हम किसी भी देश के मीडिया को ये हक नहीं दे सकते कि वो अपनी खबरों से भारत की छवि को खराब करे। अगर विदेशी मीडिया को कोरोना से संबंधित भारत के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है, तो फिर हम विदेशी मीडिया के आंकड़ों पर क्यों भरोसा करें।

पटकथा लेखक सुश्री अद्वैता काला ने कहा कि कोविड के दौरान भारत ने स्वयं को आत्मनिर्भर भारत के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन विदेशी मीडिया ये मानने को तैयार नहीं है। पश्चिमी मीडिया का मानना था कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में भारत का हेल्थ सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है, पर वो ये नहीं बताते कि उस वक्त संक्रमण के मामले उनके स्वयं के देश में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रहे थे। वरिष्ठ पत्रकार के.ए. बद्रीनाथ ने कहा कि उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और यूरोप के कई देशों में कोरोना का कहर था। विदेशी मीडिया ने इन देशों में मरते लोगों की तस्वीर प्रकाशित नहीं की, लेकिन भारत के संदर्भ में ऐसा करने से उन्हें कोई परहेज नहीं है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए पद्मश्री से अलंकृत वरिष्ठ पत्रकार जवाहरलाल कौल ने कहा कि पश्चिमी मीडिया ने अपने यहां कोरोना महामारी को कवर करने के लिए जो अनुशासन अपनाया, वो अनुशासन उन्होंने भारत के संदर्भ में नहीं रखा। उन्होंने कहा कि विदेशी मीडिया की खबरों ने भारत के प्रति उनके नकारात्मक रवैये को स्पष्ट कर दिया है।

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अमर उजाला (डिजिटल) के संपादक जयदीप कर्णिक ने कहा कि सच को जवाबदेही के साथ दिखाना पत्रकारिता का धर्म है। विदेशी मीडिया ने कोरोना काल में भारत की स्थिति को सही परिप्रेक्ष्य में नहीं दिखाया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में इस भ्रम को दूर करना पड़ेगा कि विदेशी मीडिया ही सर्वश्रेष्ठ मीडिया है और वो जो दिखा रहा है, वही सत्य है। दैनिक पूर्वोदय (गुवाहाटी) के संपादक रविशंकर रवि ने कहा कि जब भारत ने विश्व के अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई, उस वक्त विदेशी मीडिया ने इस खबर की चर्चा नहीं की। लेकिन कोविड के दौरान हुई मौतों को उसने प्रमुखता से प्रकाशित किया। ये विदेशी मीडिया के दोहरे चरित्र को दिखाता है।

आलमी सहारा (उर्दू) के संपादक लईक रिजवी ने कहा कि पश्चिमी मीडिया के दोहरेपन का रवैया कोई नया नहीं है। कोरोना से पहले भी पश्चिमी मीडिया का रवैया अपने देश से बाहर निकलते ही बदल जाता था और आज भी यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में तथ्य सर्वोपरि होते हैं, लेकिन विदेशी मीडिया ने भारत में कोविड 19 की कवरेज के दौरान अपनी खबरें तथ्यों की जगह सोशल मीडिया के आधार पर लिखी। न्यूज 18 उर्दू के वरिष्ठ संपादक तहसीन मुनव्वर ने कहा कि विदेशी मीडिया के पास भारत की अधिकतर नकारात्मक खबरें ही होती हैं, लेकिन हमारी सकारात्मक खबरों को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जगह नहीं मिलती। पश्चिमी मीडिया श्रेष्ठता की भावना से प्रभावित है।

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लेखिका सुश्री शेफाली वैद्य ने कहा कि कोरोना महामारी का जो विकराल स्वरूप भारत ने देखा है, पश्चिम के कई देश उस स्थिति से गुजर चुके हैं। इटली, ब्रिटेन, स्पेन और अमेरिका जैसे विकसित देश भी संक्रमण के चरम पर असहाय हो गए थे। विदेशी मीडिया ने उस वक्त कवरेज के दौरान बेहद संयम बरता, लेकिन भारत के मामले में उन्होंने ऐसा नहीं किया। वरिष्ठ पत्रकार विवेक अग्रवाल ने कहा कि हमें मीडिया के फंडिग पैटर्न को समझना होगा, क्योंकि उसी से खबरों की कवरेज प्रभावित होती है।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने कहा कि सत्य एक है और लोग उसे अलग-अलग तरह से बोलते हैं, लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रसित होने के कारण विदेशी मीडिया खबरों को अपने हिसाब से प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि पूरब और पश्चिम के चिंतन में बहुत अंतर है। आपदा के समय धैर्य और गंभीरता का परिचय हर संस्थान की जिम्मेदारी है।

आयोजन में विषय परिचय प्रो. प्रमोद कुमार ने दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अनुभूति यादव एवं प्रो. संगीता प्रणवेंद्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शाश्वती गोस्वामी एवं प्रो. राजेश कुमार ने किया।