इंडियन ओवरसीज बैंक की पूर्व प्रबंधक पर धोखाधड़ी के लिए 15 करोड़ रुपये का जुर्माना, सात साल की जेल |

इंडियन ओवरसीज बैंक की पूर्व प्रबंधक पर धोखाधड़ी के लिए 15 करोड़ रुपये का जुर्माना, सात साल की जेल

इंडियन ओवरसीज बैंक की पूर्व प्रबंधक पर धोखाधड़ी के लिए 15 करोड़ रुपये का जुर्माना, सात साल की जेल

:   Modified Date:  April 19, 2024 / 05:07 PM IST, Published Date : April 19, 2024/5:07 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 2.14 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के लिए बैंक की पूर्व प्रबंधक पर 15.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे अब तक के सबसे बड़े जुर्मानों में से एक बताया जा रहा है। साथ ही अदालत ने प्रबंधक को सात साल कैद की भी सजा सुनाई। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों के अनुसार प्रीति विजय सहिजवानी ने अहमदाबाद में इंडियन ओवरसीज बैंक की वस्त्रपुर शाखा की वरिष्ठ प्रबंधक के रूप में जमाकर्ता या पावर ऑफ अटॉर्नी धारक के किसी भी मंजूरी पत्र के बिना दो खातों की विदेशी मुद्रा प्रवासी (एफसीएनआर) जमा राशि को दो फर्जी खातों में जमा करवा दिया था।

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, “आरोपी ने 27 जुलाई 2001 की तारीख तक ब्याज समेत (करीब) दो करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया।”

सीबीआई ने बैंक की शिकायत पर, 29 अक्टूबर, 2001 को मामले की जांच अपने हाथ में ली और 15 अक्टूबर, 2003 को आरोप पत्र दायर किया था। सहिजवानी देश छोड़कर भाग गई और 2012 तक फरार थीं।

सीबीआई ने उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया, जिससे एजेंसी को कनाडा में उसका पता लगाने में मदद मिली।

प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “कनाडा के आव्रजन अधिकारियों ने उसे हिरासत में लेकर 11 जनवरी 2012 को भारत प्रत्यर्पित कर दिया।”

गांधीनगर की विशेष अदालत ने पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक को आपराधिक विश्वासघात, मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी, जाली दस्तावेजों को वास्तविक दस्तावेज के रूप में उपयोग करने और बैंक को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाने का दोषी ठहराया।

सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि अदालत ने दोषी पर 15 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि यह राशि शिकायतकर्ता के बैंक में जाएगी।

अधिकारियों ने कहा कि यह किसी विशेष अदालत द्वारा लगाए गए सबसे बड़े जुर्माने में से एक है।

अधिकारी ने कहा, ‘मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 23 गवाहों से पूछताछ की गई और 158 दस्तावेजों को गवाहों के माध्यम से साबित किया गया। फैसला सुनाए जाने के बाद प्रीति विजय सहिजवानी को हिरासत में ले लिया गया।”

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)