कृषि कानूनों को वापस लेने की कैबिनेट मंजूरी ‘ औपचारिकता’, अन्य मांगों का सरकार करे समाधान : किसान |

कृषि कानूनों को वापस लेने की कैबिनेट मंजूरी ‘ औपचारिकता’, अन्य मांगों का सरकार करे समाधान : किसान

कृषि कानूनों को वापस लेने की कैबिनेट मंजूरी ‘ औपचारिकता’, अन्य मांगों का सरकार करे समाधान : किसान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : November 24, 2021/7:28 pm IST

नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) किसान नेताओं ने मंत्रिमंडल द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पेश किए जाने वाले विधेयक को बुधवार को दी गई मंजूरी को ‘ औपचारिकता’ करार देते हुए अन्य मांगों, विशेषकर कृषि उपजों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) की कानूनी गारंटी को पूरा करने की मांग की।

हालांकि, किसान नेताओं ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे प्रदर्शनकारी किसानों के लिए महज पहली जीत करार दिया और कहा कि वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करने के कुछ दिनों के बाद कृषि कानून वापसी विधेयक-2021 को मंजूरी दी गई है और अब इसे 29 नवंबर को शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान लोकसभा में पारित करने के लिए पेश किया जाएगा।

राष्ट्रीय किसान महासंघ (आरकेएम) के शिवकुमार ‘कक्का’ ने पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आज मंत्रिमंडल ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी के लिए विधेयक को मंजूरी दी जिसकी घोषणा पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दी थी और यह महज औपचारिकता है। यह महज प्रक्रिया है। अब हम चाहते हैं कि सरकार हमारी अन्य मांगों पर भी विचार करे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आदर्श तो यह है कि कानूनों को वापस लेने का फैसला लेने के बाद, उन्हें हमारे साथ अगले दौर की वार्ता करनी चाहिए जिसमें हम एमएसपी के मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे। इस तरीके से सरकार दोनों विधेयकों- कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी को कानूनी मान्यता देना- पर आगे बढ़ सकती है।’’

मौजूदा समय में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साझा मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एमएसपी पर कृषि उपज की खरीद की कानूनी गांरटी सहित किसानों की छह मांगों पर वार्ता बहाल करने की मांग की। इन मांगों में लखीमपुर खीरी मामलों के संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाने और उन्हें गिरफ्तारी करने, किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने और प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों की याद में स्मारक बनाने की मांग शामिल है।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘यह प्रदर्शन अब तक समाप्त नहीं हुआ है। 27 नवंबर को हमारी बैठक होगी जिसमें हम आगे का फैसला लेंगे। (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी ने कहा था कि एक जनवरी से किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, इसलिए हम पूछना चाहते हैं कि यह कैसे होगा। किसानों की जीत तब सुनिश्चित होगी जब उन्हें उनके उत्पाद का सही दाम मिलेगा।’’

अन्य किसान नेता कविता कुरुगांटी ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल की मंजूरी तार्किक कदम है। इसका कोई महत्व नहीं है क्योंकि इसकी घोषणा 19 नवंबर को पहले ही हो चुकी है।इन विधेयकों की वापसी स्वागत योग्य घटनाक्रम है लेकिन यह प्रदर्शनकारी किसानों की मात्र पहली जीत है। हम अन्य मांगों पर उठाए जाने वाले कदम का इंतजार करेंगे।’’ कविता एसकेएम की सदस्य हैं।

हालांकि, राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि और किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंत्रिमंडल से मिली मंजूरी को ‘बड़ा दिन’ करार दिया और कहा कि इससे सरकार का रुख ‘ आधिकारिक’ हो गया है।

भाषा धीरज नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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