कोझिकोड (केरल), 18 अगस्त (भाषा) इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ) की महिला विंग एमएसएफ-हरिता की प्रदेश समिति पर रोक लगाए जाने के एक दिन बाद संगठन की एक शीर्ष नेता ने बुधवार को पार्टी के फैसले का विरोध किया और कहा कि उन्हें ‘‘नैसर्गिक न्याय’’ नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि वह संगठन के कुछ पुरुष नेताओं के खिलाफ राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराने के ‘हरिता’ के फैसले के साथ मजबूती से खड़ी हैं। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी नेतृत्व के प्रति अपनी वफादारी भी दिखाई।
उल्लेखनीय है कि आईयूएमएल ने मंगलवार को हरिता की प्रदेश समिति पर संगठन के भीतर नेताओं के मतभेदों को सार्वजनिक करने का आरोप लगाते हुए इस पर रोक लगा दी थी।
एमएसएफ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फातिमा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हरिता कार्यकर्ताओं ने महिला सदस्यों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने की वजह से पुरुष नेताओं के खिलाफ राज्य महिला आयोग में शिकायत दायर की थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ‘अभद्र’ टिप्पणियों के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके सहित महिला नेता सोशल मीडिया पर गंभीर चरित्र हनन का सामना कर रही हैं।
फातिमा ने कहा, ‘‘हममें से किसी ने भी घटना के बारे में कभी भी सार्वजनिक तौर पर या मीडिया के सामने आज तक कुछ नहीं कहा। हमने उचित माध्यम से शिकायत दर्ज कराई और इस बारे में एमएसएफ तथा आईयूएमएल को भी बताया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद है कि हरिता नेताओं को वह नैसर्गिक नयाय नहीं मिला जो महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने वालों को मिला। हरिता पर रोक लगाने का निर्णय दुखद है।’’
भाषा नेत्रपाल नरेश
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