ऋषिकेश, 13 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) के बफर क्षेत्र में स्थित लालढांग—चिल्लरखाल मार्ग के करीब 19 किलोमीटर लंबे हिस्से को उत्तराखंड वन विभाग द्वारा बिना वैधानिक मंजूरी लिए उन्नयन करने पर आपत्ति जतायी है ।
समिति ने कहा है कि इस वन मार्ग पर जिलाधिकारी पौड़ी ने मार्ग के एक हिस्से की मरम्मत की अनुमति दी थी लेकिन वन विभाग ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय की अवमानना करते हुए वहां मार्ग को उन्नयन कर दिया ।
मार्ग के उस हिस्से के उन्नयन पर आपत्ति उठाते हुए कॉर्बेट और आरटीआर में अनियममितताओं की जांच कर रही कमेटी ने कहा कि इसके लिए वन विभाग ने उच्चतम न्यायालय को सूचित नहीं किया और न ही इसके लिए वैधानिक मंजूरी ली ।
वन विभाग का यह कदम उच्चतम न्यायालय के 29 जुलाई 2019 के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वैधानिक मंजूरी लिए बिना संरक्षित क्षेत्र में कोई सड़क नहीं बनायी जाएगी ।
यह समिति राजाजी के बफर क्षेत्र में आवश्यक मंजूरी के बिना लालढांग—चिल्लरखाल मार्ग का उन्नयन किए जाने के अलावा कॉर्बेट में वृक्षों के अवैध कटान, इमारतों और एक जलाशय के अवैध निर्माण की भी जांच कर रही है ।
इस संबंध में समिति की 29 अप्रैल को हुई बैठक और उसके बारे में उत्तराखंड के मुख्य सचिव सहित सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पत्र के माध्यम से दी गयी सूचना की प्रति पीटीआई भाषा के पास मौजूद है । पत्र में समिति के सदस्य सचिव अमर नाथ शेट्टी के हस्ताक्षर हैं ।
समिति ने एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के दौरान तैनात रहे राजाजी और कॉर्बेट से संबंधित प्रभागीय वन अधिकारियों से लेकर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक और वन विभाग के मुखिया स्तर तक के अधिकारियों के नाम और उनके पदभार की सूची भी मांगी है ।
उसने उत्तराखंड सरकार में वन और वन्यजीव मामलों को देखने वाले सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाम, उनकी भ्रमण डायरियां तथा राजाजी और कॉबेट क्षेत्र में उनके निरीक्षण से संबंधित दौरों का विवरण भी मांगा है ।
भाषा सं दीप्ति दीप्ति राजकुमार
राजकुमार
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