नयी दिल्ली: How Many Girls Quit School After Hijab Ban उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सवाल किया कि क्या हिजाब प्रतिबंध और इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय के फैसले के कारण कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों से छात्रों के पढ़ाई छोड़ने के संबंध में कोई प्रामाणिक आंकड़ा है। याचिकाकर्ताओं में से एक की तरफ से पेश हुए वकील ने विद्यार्थियों विशेषकर छात्राओं द्वारा स्कूल छोड़ने का मुद्दा उठाया। इस पर न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, “क्या आपके पास प्रमाणिक आंकड़े हैं कि हिजाब प्रतिबंध और उसके बाद उच्च न्यायालय के फैसले के चलते 20, 30, 40 या 50 विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ दी?”
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How Many Girls Quit School After Hijab Ban याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने एक रिपोर्ट का संदर्भ दिया और कहा कि उसमें कई छात्रों के बयान हैं। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब से प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पीठ से कहा, “मेरे दोस्त (वकीलों में से एक) ने मुझे सूचित किया कि इस विशेष फैसले के बाद 17,000 विद्यार्थी वास्तव में परीक्षा से दूर रहे।’’ अहमदी ने कहा कि इस मामले में सरकारी आदेश का असर यह होगा कि जो लड़कियां पहले स्कूलों में जाकर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा ले रही थीं, उन्हें मदरसों में वापस जाने के लिए मजबूर किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “किसी को ऐसा क्यों महसूस होना चाहिए कि एक धार्मिक संस्कार किसी भी तरह से वैध या धर्मनिरपेक्ष शिक्षा या एकता में बाधा डालेगा? किसी के हिजाब पहनकर स्कूल जाने पर दूसरे को क्यों आपत्ति होनी चाहिए? अन्य छात्रों को इससे क्यों समस्या होनी चाहिए?’ एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने तर्क दिया कि इस मामले का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हिजाब पहनने वाले के साथ धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “इस मामले के महत्वपूर्ण होने का कारण यह है कि जब यह फैसला किया गया था, तो सुर्खियां यह नहीं थीं कि ड्रेस कोड को बरकरार रखा गया था, शीर्षक थे हिजाब को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हटा दिया।” पीठ ने कहा कि अखबारों में जो लिखा है, वह उसके आधार पर नहीं चलता। कर्नाटक उच्च न्यायालय के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है।