मुल्लापेरियार बांध कितना पानी संभाल सकता है, यह महत्वपूर्ण मसला : न्यायालय |

मुल्लापेरियार बांध कितना पानी संभाल सकता है, यह महत्वपूर्ण मसला : न्यायालय

मुल्लापेरियार बांध कितना पानी संभाल सकता है, यह महत्वपूर्ण मसला : न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : March 23, 2022/7:34 pm IST

नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह मुल्लापेरियार बांध से जल के बंटवारे को लेकर कोई निर्णय नहीं ले रहा है, क्योंकि यह मामला 126-साल पुराने बांध की सुरक्षा से जुड़ा है तथा इस सवाल का जवाब सबसे पहले ढूंढना है कि यह जलाशय कितना पानी झेल सकेगा।

शीर्ष अदालत ने बांध से संबंधित दलीलें सुनते हुए कहा कि बांध की सुरक्षा का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर 1895 में यह बांध बनाया गया था।

केरल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ के समक्ष दलील दी कि यह मामला पानी के बंटवारे का नहीं है, बल्कि यह बांध की सुरक्षा से जुड़ा मसला है।

पीठ ने कहा, ‘‘स्पष्ट तौर पर, हम पानी के बंटवारे के बारे में निर्णय नहीं ले रहे हैं। यह पूरी तरह स्पष्ट है। केवल एक मुद्दा बांध की सुरक्षा का है। जिस पहले सवाल का जवाब ढूंढना है, वह यह है कि आखिर बांध कितना पानी संभाल सकेगा। पानी की मात्रा ‘रूल कर्व’ (किसी खास समय के दौरान जलाशय में खाली जगह) के रूप में परिभाषित की गयी है।’’

गुप्ता ने दलील दी कि केरल सरकार का शीर्ष अदालत के समक्ष यही पक्ष है कि बांध सुरक्षित नहीं है।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने चार बिंदु बताये हैं- जलस्तर की ऊंचाई, पानी छोड़ना और उसके लिए मानक तैयार करना, यंत्रों का आधुनिकीकरण तथा बांध का रखरखाव।

राज्य सरकार के वकील ने कहा कि एक और दो अन्य मुद्दे हैं और केरल ने सलाह दी है कि निगरानी समिति का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और इसके अधिकारों का दायर बढ़ाया जाना चाहिए।

गुप्ता ने दलील दी कि उन्होंने सलाह दी है कि समिति में दोनों राज्यों- केरल और तमिलनाडु के तकनीकी सदस्यों को रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जहां तक केरल का संदर्भ है तो एक अन्य बहुप्रतीक्षित मुद्दा है – नया बांध निर्माण की प्रक्रिया का शुरू किया जाना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि बेहतर और दीर्घकालिक उपाय नये बांध का निर्माण है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘एक बार यदि बांध तैयार हो जाता है तो मौजूदा बांध का इस्तेमाल छोड़ दिया जाएगा और नया बांध उसकी जगह ले लेगा।’’

इस मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी।

भाषा

सुरेश अनूप

अनूप

 

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