आईएम गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य की हत्या करना चाहता था : अदालत |

आईएम गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य की हत्या करना चाहता था : अदालत

आईएम गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य की हत्या करना चाहता था : अदालत

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:32 PM IST, Published Date : February 19, 2022/11:17 pm IST

अहमदाबाद, 19 फरवरी (भाषा) अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को 70 मिनट के अंतराल में हुए 18 सिलसिलेवार धमाकों पर दिए फैसले में अदालत ने कहा कि दोषियों ने शहर के दो अस्पतालों में धमाके की योजना और समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्य के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह, विधायकों और मरीजों के संबंधियों की हत्या को ध्यान में रखकर तय किया क्योंकि वह मानकर चल रहे थे कि शहर में सिलसिलेवार धमाकों के बाद ये हस्तियां मरीजों को देखने के लिए इन अस्पतालों में आएंगी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई। इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को उम्रकैद की सुजा सुनाई।

अदालत के फैसले की शनिवार को वेबसाइट पर उपलब्ध प्रति के मुताबिक, आरोपियों को बड़ी संख्या में हिंदू आबादी को निशाना बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था।

अदालत ने कहा, ‘‘हमले की योजना इस समझ के साथ बनाई गई थी कि सरकार के प्रति नफरत और आक्रोश पैदा हो ताकि भारत में इस्लामिक शासन का रास्ता साफ हो सके।’’

विशेष न्यायाधीश ए आर पटेल ने कहा कि आरोपियों ने अहमदाबाद के नगर निकाय द्वारा संचालित और राज्य सरकार के सिविल अस्पताल को शक्तिशाली बम रखकर निशाना बनाया ताकि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी अमित शाह और अन्य की हत्या की जा सके।

अदालत ने कहा, ‘‘आरोपियों की भारी संख्या में लोगों की हत्या की मंशा स्पष्ट रूप से दिखती है, इसके साथ ही वे तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, विधायक प्रदीपसिंह जडेजा और तत्कालीन सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप परमार की हत्या करना चाहते थे।’’

अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी जानते थे कि मोदी और अन्य विधायक मरीजों को देखने के लिए अस्पताल जा सकते हैं जहां पर धमाकों के बाद घायलों का इलाज किया जा रहा था।’’

अदालत ने यह भी कहा कि धमाके के दोषी जानते थे कि कैसे जांचकर्ताओं को भ्रमित करना है और उनके खिलाफ सबूत एकत्र करना आसान नहीं था क्योंकि वे अत्यधिक कुशल और शिक्षित थे। अदालत ने कहा कि दोषियों में कई डॉक्टर, प्रोफेसर और कंप्यूटर विशेषज्ञ हैं।

अदालत ने कहा कि सबूत, परिस्थिति जन्य सबूत फैसले के आधार बने।

फैसले में कहा गया, ‘‘पांच साल तक चली सुनवाई के दौरान अदालत के संज्ञान में आया है कि आरोपी सभी मामलों में उच्च कौशल प्राप्त हैं और शिक्षित हैं, उनमें से कुछ डॉक्टर, प्रोफेसर और कंप्यूटर विशेषज्ञ हैं और उन्होंने अन्य स्तर पर जाकर अपराध को अंजाम दिया।’’

भाषा धीरज शफीक

शफीक

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)