उत्तराखंड में असुरक्षित प्रसव के मामलों में वृद्धि: आरटीआई |

उत्तराखंड में असुरक्षित प्रसव के मामलों में वृद्धि: आरटीआई

उत्तराखंड में असुरक्षित प्रसव के मामलों में वृद्धि: आरटीआई

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:29 PM IST, Published Date : April 23, 2022/9:31 pm IST

देहरादून, 23 अप्रैल (भाषा) उत्तराखंड में 2021-2022 में असुरक्षित प्रसव के 601 मामले दर्ज किये गये, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी सामने आई है।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में 2019-20 में असुरक्षित प्रसव के कुल 465 मामले दर्ज किए गए, जो 2020-21 में बढ़कर 559 हो गये जबकि 2021-22 में यह संख्या 601 हो गई।

देहरादून स्थित युवा शोधकर्ताओं के एक संगठन द्वारा यह आरटीआई दाखिल की गई थी। इस संगठन को ‘कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशन प्रोग्राम’ (सीएएमपी) कहा जाता है। संगठन ने उत्तराखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी को इस तरह की घटनाओं के पीछे मुख्य कारण बताया।

संगठन के समन्वयक शिवम ने कहा, ‘‘आंकड़ों से पता चला है कि राज्य में प्रति माह असुरक्षित प्रसव की औसत संख्या भी 2019-20 में प्रति माह 42 से बढ़कर 2021-22 में प्रति माह 60 हो गई है।’’

आरटीआई में कहा गया है कि 2021-22 में 108 सरकारी आपातकालीन एम्बुलेंस में प्रसव की संख्या भी सबसे अधिक थी।

शिवम ने बताया कि राज्य में सभी श्रेणी के अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञों के 167 स्वीकृत पद हैं, हालांकि इनमें से 74 खाली हैं। उन्होंने बताया कि इनके अलावा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए स्वीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञों के 27 और पद खाली पड़े हैं।

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

 

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