India Canada Clash: नई दिल्ली। भारत और कनाडा के सबंधो में हुई खटास के कारण दोनों देशों के सिर्फ राजनयिक संबंध ही नहीं बल्कि व्यावहारिक सबंध भी बिगड़े है। जिसके कारण उन लाखों छात्रों के मन में डर और संशय की स्थिति बन गई है, जो कनाडा में पढ़ाई की योजना बना रहे है। क्योकि दोनों देशों के बीच टकराव से यह तो स्पष्ट है। दोनों देश कभी भी एक-दूसरे से हुए बैर के कारण विरोधाभास की भावना के लिए कोई भी फैसला ले सकते है। जो कि हालातों को देखकर पता लगाया जा सकता है।
India Canada Clash: बीतों दिनों ही भारत सरकार ने कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सर्विस को सस्पेंड कर एक बड़ा झटका दिया था। इस गरमागर्मी के माहैल के बीच अभी हाल ही में एक बड़ी खबर सामने आयी है। सूत्रों के मुताबिक भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक तनाव के बीच मोदी सरकार ने ट्रूडो सरकार से अपने अतिरिक्त डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया है। भारत सरकार ने कनाडा को चेतावनी देते हुए 10 अक्टूबर तक अपने 41 राजनयिक सदस्यों को वापस बुलाने का कहा है। भारत सरकार का कहना है कि यदि 10 अक्टूबर के बाद ये राजनयिक भारत में रहते है तो उनको दी गई रियायतों को खत्म कर दिया जाएगा। इससे पहले भारत में कनाडा के 62 राजनयिक थे। हालांकि एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अंदिरम बागची का कहना है कि भारत के कनाडाई राजनयिक की संख्या कनाडा के राजनयिकों से ज्यादा है, इसलिए इसे कम करने की जरूरत है। जिस लेकर ये बड़ा फैसला लिया गया।
India Canada Clash:अब इस मामले में शक्तिशाली देश अमेरिका का भी बयान सामने आया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह भारत और कनाडा के बीच जारी राजनयिक गतिरोध से अवगत हैं। भारत में स्थित कनाडाई उच्चायोग की ओर से उन्हें इसकी जानकारी मिली है। आगे उन्होंने कहा कि मैं किसी काल्पनिक बात में नहीं पड़ना चाहता। इस राजनयिक संकट को अमेरिका,भारत और कनाडा पर छोड़ना चाहिए। अमेरिका ने एक बार फिर बात को दोहरातें हुए कहा है कि- कनाडा की ओर से भारत पर लगाया गए आरोप बहुत ही गंभीर हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, हम कनाडा के संपर्क में हैं।यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार कनाडाई जांच में सहयोग करें, जिससे अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सके।
India Canada Clash:प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब वेदांत पटेल से पूछा गया, ” क्या आप इस बात से चिंतित नहीं हैं कि यदि भारत कनाडा के दर्जनों राजनयिक जनयिकों को निष्कासित करता है और फिर कनाडा इसकी प्रतिक्रिया देता है, तो इससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते और खराब हो सकते हैं? इसका इंडो-पैसिफिक रणनीति पर क्या असर होगा?”इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “भारत में कनाडा के राजनयिक को लेकर मैंने रिपोर्टें देखी हैं। लेकिन उन रिपोर्टें पर प्रतिक्रिया देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। मैं निश्चित रूप से किसी काल्पनिक बातों में नहीं पड़ना चाहता। मैं इस पूरी प्रक्रिया में एक बार में एक स्टेप ही लेना चाहता हूं। “चूंकि,यह मामला इंडो-पैसिफिक रणनीति से भी जुड़ा है। हम इस क्षेत्र में फोकस बनाए हुए हैं। ऐसे में हम निश्चित रूप से इस क्षेत्र में भारत के साथ काम करना जारी रखेंगे। क्वाड के अलावा अन्य कई फोरम में भी हम भारत के साथ भागीदार देश हैं। लेकिन जैसा मैंने पहले भी कहा था कि हम कनाडा की ओर से लगाए गए आरोपों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। हमने सार्वजनिक और निजी तौर पर भारत सरकार से कनाडाई जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है।
India Canada Clash:वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के एक पत्रकार ने पूछा, “अभी आपने भारत-कनाडा के बीच जारी तनाव के बारे में विस्तार से बात की,लेकिन खालिस्तान मुद्दे पर अमेरिका क्या ..क्या स्टैंड रखता है? क्योंकि अमेरिका में भी हजारों ऐसे सिख रहते हैं जो खालिस्तानी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस का हिस्सा हैं, जो जनमत संग्रह कराते रहते हैं। क्या इसको लेकर अमेरिका की कोई नीति है या यह सिर्फ अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है? इसका जवाब देते हुए-अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा हम किसी भी तरह के अनौपचारिक जनमत संग्रह पर टिप्पणी नहीं करने जा रहे हैं। मैं मोटे तौर पर बस इतना कहूंगा कि अमेरिका में बोलने की आजादी है। शांतिपूर्वक जमा होने का अधिकार है। हमारे संविधान के अनुरूप है।
India Canada Clash: हालांकि इस मुद्दे की शुरुआत कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संसद में दिए गए बयान से हुई है। जिसमें ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार आ गई थी। जिसके बाद कनाडा के राजनयिक को तुरंत निष्कासित कर दिया। जिसका जवाब देते हुए भारत ने भी उसके राजदूत को बाहर का रास्ता दिखाकर बदला लिया था। इसके बाद से ये मामला बढ़ता गया और रिश्तों में दरार बढ़ती ही जा रही है।
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