आर्कटिक, अंटार्कटिका शोध में भारत की प्रगति एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा बन सकती है |

आर्कटिक, अंटार्कटिका शोध में भारत की प्रगति एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा बन सकती है

आर्कटिक, अंटार्कटिका शोध में भारत की प्रगति एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा बन सकती है

:   Modified Date:  May 10, 2024 / 02:56 PM IST, Published Date : May 10, 2024/2:56 pm IST

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) आर्कटिक, अंटार्कटिका और हिमालय पर शोध की दिशा में भारत की प्रगति जल्द ही स्कूली पाठ्य पुस्तकों का हिस्सा हो सकती है।

दरअसल, केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम में इस दिशा में नवीनतम प्रगति को शामिल करने के लिए उससे संपर्क किया है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्य पुस्तकों के जरिए इन क्षेत्रों में अनुसंधान के महत्व को सामने लाने के लिए एक समिति का गठन किया है।

रविचंद्रन ने यहां ‘पीटीआई’ संपादकों से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘हमने उन्हें एक पत्र लिखा… उन्होंने (एनसीईआरटी ने) अंटार्कटिका में शोध अभियान, आर्कटिक एवं हिमालय और जलवायु परिवर्तन सहित कुछ अन्य पहलुओं के महत्व को सामने लाने के लिए एक समिति का गठन किया है। वे इस पर काम कर रहे हैं।’’

अंटार्कटिका शोध कार्य का उल्लेख एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकों में मिलता है लेकिन इस सामग्री को काफी समय से अद्यतन नहीं किया गया है। आर्कटिक और हिमालयी क्षेत्रों में जारी शोध का भी बहुत सीमित उल्लेख है।

एनसीईआरटी ने कोविड-19 के बाद पाठ्य पुस्तकों से जलवायु परिवर्तन, मानसून और ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव जैसे विषयों को हटा दिया था जिससे विवाद पैदा हो गया था।

परिषद ने बाद में स्पष्ट किया था कि महामारी के मद्देनजर पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने के लिए इन विषयों को हटाया गया था। उसने कहा था कि नए पाठ्यक्रम के आधार पर जारी पुस्तकों में इन विषयों को फिर से शामिल किया जाएगा।

इन किताबों पर अभी काम जारी है और ये 2026 तक सभी कक्षाओं के लिए उपलब्ध होंगी।

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अंटार्कटिका के लिए सर्वोच्च शासी निकाय एटीसीएम (अंटार्कटिका संधि परामर्शदात्री बैठक) की 46वीं बैठक और 26वीं सीईपी बैठक की मेजबानी कर रहा है।

ये महत्वपूर्ण बैठकें 20 से 30 मई तक कोच्चि में आयोजित की जाएंगी जहां दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे देश अपनी वैज्ञानिक गतिविधियों के परिणाम और भविष्य की योजनाएं साझा करेंगे।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)