हैदराबाद मुठभेड़ मामले में जांच समिति को रिपोर्ट दायर करने के लिए छह माह का समय और मिला |

हैदराबाद मुठभेड़ मामले में जांच समिति को रिपोर्ट दायर करने के लिए छह माह का समय और मिला

हैदराबाद मुठभेड़ मामले में जांच समिति को रिपोर्ट दायर करने के लिए छह माह का समय और मिला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : August 3, 2021/3:43 pm IST

नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार आरोपियों की मुठभेड़ में मौत के मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जांच समिति को मंगलवार को छह माह का और समय दिया है।

शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय आयोग को इस मामले में रिपोर्ट देनी है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने जांच आयोग की तरफ से पेश वकील से पूछा कि जांच को पूरा करने में आयोग को और कितना समय चाहिए।

पीठ ने उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर विकास दूबे की मुठभेड़ में मौते के मामले की जांच के लिए गठित इसी तरह के आयोग का उदाहरण दिया और कहा कि वे पहले ही अपनी रिपोर्ट दाखिल कर चुके हैं।

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की अध्यक्षता वाले आयोग का यह निष्कर्ष था कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि दूबे की मुठभेड़ पूर्व नियोजित थी।

हैदराबाद मुठभेड़ हत्याकांड की जांच का जिक्र करते हुए पीठ ने वकील के.परमेश्वर से जांच पूरी करने में देरी का कारण जानना चाहा।

वकील ने कहा कि आयोग को मामले में 130 से अधिक गवाहों को सुनना पड़ा है और कोविड की स्थिति ने भी इसमे विलंब कराया है।

पीठ ने कहा, “ ठीक है, छह महीने का समय दिया जाता है।”

सिरपुरकर समिति का गठन 12 दिसंबर, 2019 को किया गया था जिसे मुठभेड़ होने की परिस्थितियों की जांच करनी थी और छह माह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करनी थी।

आयोग के अन्य सदस्यों में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बालदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं।

जांच समिति को दिए गए समय की अवधि अब तक तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। सबसे पहले जुलाई 2020 में छह माह के लिए समय बढ़ा दिया गया था।

समिति गठित करते वक्त, शीर्ष अदालत ने तेलंगाना उच्च न्यायालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की मामले में लंबित कार्यवाहियों पर रोक लगा दी थी और एसआईटी की रिपोर्ट मांगते हुए कहा था कि किसी अन्य अधिकरण को अगले आदेश तक आयोग के समक्ष लंबित मामले की जांच नहीं करनी है।

इसने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा तीन सदस्यीय आयोग को सुरक्षा उपलब्ध कराने के आदेश और सुनवाई के पहले दिन से छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा निर्धारित की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि, “घटना के बारे में विरोधाभासी बयान, वास्तविक तथ्यों को सामने लाने की जांच की जरूरत बताते हैं।”

उच्चतम न्यायालय में दो याचिकाएं दायर पर संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था।

याचिका में दावा किया गया कि कथित मुठभेड़ “फर्जी” था और घटना में संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।

तेलंगाना पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने उनपर गोली चलाई थी और जवाबी कार्रवाई में चारों मारे गए थे। घटना सुबह साढ़े छह बजे हुई थी जब जांच के तहत आरोपियों को घटनास्थल पर अपराध के नाट्य रूपांतरण के लिए ले जाया गया था।

चारों आरोपियों – मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु, जोलू शिवा और जोलू नवीन को नवंबर 2019 में एक युवा पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

मामले के चार आरोपियों की हैदराबाद के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर गोली मार दी गई थी- उसी राजमार्ग पर जहां 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था।

पुलिस ने बताया था कि 27 नवंबर, 2019 को पशु चिकित्सक का अपहरण किया गया, उससे सामूहिक बलात्कार किया गया और बाद में हत्या कर दी गई।

पुलिस ने कहा था कि आरोपियों ने बाद में महिला का शव जला दिया था।

भाषा

नेहा अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)