जोरहाट (असम),19 अगस्त (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बृहस्पतिवार को कहा कि जोरहाट केन्द्रीय कारागार में कई स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया और कई यहां शहीद हुए इसलिए इस केन्द्रीय कारागार को ऐतिहासिक धरोहर के तौर पर संरक्षित किया जाएगा।
सरमा ने जेल परिसर का दौरा करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उत्सव के तौर पर राज्य सरकार देश के स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस स्थल को संरक्षित करेगी।
उन्होंने एक आधिकारिक बयान में कहा, ‘‘वर्तमान कारागार को जिले में किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के बाद राज्य सरकार जोरहाट केंद्रीय कारागार को धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित करेगी। सरकार 100 बीघा जेल भूमि में एक धरोहर स्थल विकसित करेगी।’’
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां कई प्रमुख हस्तियां कैद थीं,जिनमें फकरुद्दीन अली अहमद, गोपीनाथ बोरदोलोई और बिमला प्रसाद चालिहा, अमियो कुमार दास, बिजॉय भगवती और कामाख्या त्रिपाठी शामिल हैं।
स्वतंत्रता सेनानी बेजा बाउरी और कमला मिरि ने इसी कारागार में दम तोड़ा था। जबकि कुशल कोंवर को 15 जून 1943 को जोरहाट जेल के अंदर फांसी दी गई थी। इससे पहले मनीराम दत्ता बरुआ, जिन्हें मनीराम दीवान के नाम से भी जाना जाता था को 1858 में अंग्रेजों के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में जोरहाट जेल में फांसी दी गई थी।
सरमा ने जेल अधिकारियों के साथ-साथ जेल के कुछ कैदियों से बातचीत की और उनकी परेशानियां जानी।
बयान में कहा गया,‘‘ मुख्यमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान इन अमर अमर सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
भाषा शोभना पवनेश
पवनेश
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