बेंगलुरु, 15 फरवरी (भाषा) कर्नाटक विधानसभा में बृहस्पतिवार को व्यावसायिक और अन्य प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड में 60 फीसदी कन्नड़ भाषा के इस्तेमाल को अनिवार्य करने वाला एक विधेयक पारित किया गया।
सरकार ने सदन में कहा कि अनुपालन नहीं करने पर प्रतिष्ठानों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
कन्नड़ भाषा व्यापक विकास (संशोधन) विधेयक-2024 के तहत 2022 के अधिनियम में संशोधन किया गया है।
संशोधन के तहत यह सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है कि वाणिज्यिक, औद्योगिक एवं व्यावसायिक उपक्रमों, न्यासों, परामर्श केंद्रों, अस्पतालों, प्रयोगशालाओं, मनोरंजन केंद्रों तथा होटल और सरकार या स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त प्रतिष्ठान अपने साइनबोर्ड में 60 फीसदी कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करें।
कन्नड़ एवं संस्कृति मंत्री शिवराज तंगदागी ने विधेयक को सदन में विचार के लिए पेश करते हुए कहा कि सरकार कानून को लागू करने के लिए नियम बना रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम नियमों में लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान भी करेंगे। लाइसेंस रद्द होने पर ही व्यावसायिक और अन्य प्रतिष्ठानों को तकलीफ महसूस होगी। नये लाइसेंस जारी करने या मौजूदा लाइसेंस को नवीनीकृत करते समय, हम पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्होंने (नाम) बोर्ड में कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करने से संबंधित नियमों का अनुपालन किया या नहीं।’’
उन्होंने विधायकों, खासतौर पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों को यह भी आश्वासन दिया कि सरकार उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाने के नियम भी तय करेगी।
मंत्री ने कहा कि सरकार नियमों की अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में एक प्रवर्तन शाखा के अलावा कार्यबल का गठन करेगी, जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि नाम पट्टिकाओं पर कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल नहीं करने से जुड़ी समस्या केवल बेंगलुरु में है।
सरकार बेंगलुरु में सभी आठ नगर पालिका क्षेत्रों में समितियां बनाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ये समितियां कन्नड़ भाषा को लेकर मिलने वाली शिकायतें प्राप्त करेंगी। हम इसके लिए एक ऐप भी ला रहे हैं।’’
भाषा खारी रंजन
रंजन
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