लोकसभा चुनाव: जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अधिक मतदान प्रतिशत की उम्मीद जताई |

लोकसभा चुनाव: जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अधिक मतदान प्रतिशत की उम्मीद जताई

लोकसभा चुनाव: जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अधिक मतदान प्रतिशत की उम्मीद जताई

:   Modified Date:  April 25, 2024 / 07:40 PM IST, Published Date : April 25, 2024/7:40 pm IST

(तारिक सोफी)

जम्मू, 25 अप्रैल (भाषा) कश्मीर क्षेत्र में बदलती परिस्थितियों के बीच जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के. पोल ने उम्मीद जताई कि घाटी में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाता बड़ी संख्या में मतदान करेंगे।

घाटी में तीन दशक से अधिक समय से सुनी जाती रही अलगाववादी समूहों की चुनाव बहिष्कार की आवाज अब कमजोर होती दिख रही है और मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस बार कश्मीर में मतदान प्रतिशत में कई गुना वृद्धि का विश्वास जताया है।

इतिहास में देखें तो 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के उभरने और हिंसा की धमकियों जैसे कारकों ने मतदाताओं को मतदान से रोका। तब मतदान के बाद स्याही लगी उंगलियों को काटने जैसी धमकियां दी जाती थीं और मतदान केंद्रों के पास पथराव करने जैसी घटनाएं शामिल थीं।

पोल ने ‘पीटीआई वीडियो सेवा’ के साथ साक्षात्कार में मतदाताओं के साथ राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की सक्रिय भागीदारी से बने वर्तमान अनुकूल माहौल पर रोशनी डाली और कहा कि इससे मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि का संकेत मिलता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस बार कुल मिलाकर माहौल अच्छा है और जिस तरह राजनीतिक दल तथा उम्मीदवार लोगों से संपर्क साध रहे हैं, उससे घाटी में मतदान प्रतिशत कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 अप्रैल को उधमपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए घाटी में जमीनी स्थिति में सुधार का श्रेय अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने को दिया था।

पोल ने कहा कि राजनीतिक दलों का आक्रामक चुनाव प्रचार और जनता की सकारात्मक प्रतिक्रिया मतदाताओं की सहभागिता को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि संसदीय चुनावों के विपरीत, जम्मू कश्मीर में ज्यादातर विधानसभा चुनावों में 50 से 60 प्रतिशत के बीच अच्छा मतदान होता था।

अधिकारी ने कहा, ‘‘उत्तर कश्मीर में दक्षिण और मध्य कश्मीर से अपेक्षाकृत अधिक मतदान होता था। इसके पीछे स्थानीय मुद्दे, अधिक उम्मीदवारों का मैदान में होना और सक्रिय राजनीति जैसे कारण रहे हो सकते हैं। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार आक्रामक तरीके से प्रचार कर रहे हैं और जनता की प्रतिक्रिया भी उत्साहजनक है।’’

भाषा वैभव रंजन

रंजन

 

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