मुंबई, सात दिसम्बर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने पिछले महीने स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई इकाई के प्रमुख समीर वानखेड़े और उनके परिवार के खिलाफ कोई सार्वजनिक बयान नहीं देने संबंधी आश्वासन का ‘जानबूझकर’ उल्लंघन किया है।
न्यायमूर्ति एस. जे. कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मलिक को हलफनामा दायर करके यह बताने का निर्देश दिया गया है कि ‘अंडरटेकिंग’ के उल्लंघन के लिए उनके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की जानी चाहिए।
खंडपीठ समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की ओर से दायर अर्जी पर सुनवई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ कोई भी सार्वजनिक बयान जारी नहीं करने को लेकर पिछले माह उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया था, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने इस तरह की बयानबाजी जारी रखी।
ज्ञानदेव वानखेड़े ने अपने वरिष्ठ वकील बीरेन्द्र सराफ के माध्यम से सोमवार को उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की तथा त्वरित सुनवाई का अनुरोध किया। सराफ ने हाल ही में एक राष्ट्रीय समाचार पत्र को मलिक द्वारा दिये साक्षात्कार का हवाला देते हुए उसका एक अंश न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणियां हैं।
मलिक की ओर से पेश वकील कार्ल ताम्बोली ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल ने संबंधित साक्षात्कार पार्टी प्रवक्ता की हैसियत दी है, न कि व्यक्तिगत क्षमता में।
खंडपीठ ने, हालांकि, कहा कि उक्त टिप्पणियां उच्च न्यायालय को दिये गये वचन (अंडरटेकिंग) का उल्लंघन है।
भाषा
सुरेश अनूप
अनूप
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दूसरे चरण के चुनाव में शाम 7 बजे तक करीब…
6 hours agoकांग्रेस कह रही है कि वह अल्पसंख्यकों के लिए एक…
7 hours ago