हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शीर्ष सरकारी पदों पर पहुंच रहे हैं:न्यायमूर्ति गवई |

हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शीर्ष सरकारी पदों पर पहुंच रहे हैं:न्यायमूर्ति गवई

हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शीर्ष सरकारी पदों पर पहुंच रहे हैं:न्यायमूर्ति गवई

:   Modified Date:  March 29, 2024 / 05:54 PM IST, Published Date : March 29, 2024/5:54 pm IST

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा है कि संविधान की ‘‘सकारात्मक कार्रवाई’’ के कारण हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शीर्ष सरकारी पदों तक पहुंचने में सक्षम हुए हैं।

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि शीर्ष अदालत में उनकी पदोन्नति दो साल पहले की गई थी क्योंकि वहां दलित समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

न्यूयॉर्क सिटी बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक अंतर-सांस्कृतिक परिचर्चा को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि जब उन्हें 2003 में बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, तो वह एक वरिष्ठ वकील थे और उस समय उच्च न्यायालय में अनुसूचित जाति या दलित समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि 2019 में उच्चतम न्यायालय में उनकी नियुक्ति पूरी तरह से शीर्ष अदालत में अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व देने के लिए की गई थी, क्योंकि शीर्ष अदालत में लगभग एक दशक से इस समुदाय से कोई न्यायाधीश नहीं था।

उन्होंने कहा, यह केवल भारतीय संविधान और इसकी सकारात्मक कार्रवाई और समावेशन के कारण है कि वह सर्वोच्च न्यायिक कार्यालय में सेवा देने में सक्षम हुए।

मई 2025 में भारत के प्रधान न्यायाधीश बनने की कतार में शामिल न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘यदि अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व न दिया गया होता तो शायद दो साल बाद मेरी पदोन्नति होती।’’

भाषा

शफीक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)