नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के करीब 95 प्रतिशत अधिकारी वायु प्रदूषण से अवगत हैं, लेकिन क्षेत्र में तैनात इसके कर्मी (फील्ड वर्कर) वायु गुणवत्ता बेहतर करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय नीतियों से अवगत नहीं हैं। क्लाइमेट ट्रेंड्स एंड अर्थ रुट फाउंडेशन के एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अक्टूबर और दिसंबर 2021 के बीच अनुसंधानकर्ताओं ने एमसीडी के कर्मियों पर एक विस्तृत अध्ययन किया, ताकि वायु प्रदूषण के प्रति उनके ज्ञान और जागरूकता को समझा जा सके।
अध्ययन में शामिल किये गये ज्यादातर कर्मी (94.8) ‘वायु प्रदूषण’ शब्द से अवगत थे, लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) और नगर कार्रवाई योजना (सीएपी) शब्दावली से वे तकरीबन अनभिज्ञ थे।
एनसीएपी पीएम2.5 (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास के कण) और पीएम10 के सकेंद्रण में 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत की कमी लाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की एक रणनीति है।
अध्ययन में कहा गया है कि करीब 72.4 प्रतिशत इंजीनियर और 53 प्रतिशत निरीक्षक वायु प्रदूषण से संबद्ध राष्ट्रीय नीतियों से अवगत हैं।
अध्ययन में भाग लेने वालों से मिले जवाब के मुताबिक, वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत में वाहन से प्रदूषण (99 प्रतिशत), निर्माण गतिविधियां और सड़कों की धूल (94 प्रतिशत) तथा पराली जलाने (91.5 प्रतिशत) की हिस्सेदारी है।
हालांकि, तकनीकी विवरण के बारे में पूछे जाने पर एमसीडी अधिकारी उससे अनभिज्ञ नजर आये।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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