नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि डिजिटल युग में भी पुस्तकालय विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की स्कूली शिक्षा में अहम योगदान दे सकते हैं।
नायडू ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि हर गांव में एक पुस्तकालय होना चाहिए और उसे लोगों का भरपूर समर्थन मिलना चाहिए।
उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘अतीत के पुस्तकालय आंदोलनों से प्रेरणा लेते हुए हमारे कस्बों और गांवों में मौजूदा पुस्तकालयों का पुनरुद्धार करना आज बहुत जरूरी है।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों को ज्ञान का जीवंत स्थान बनाने के लिए समाज को स्वच्छ भारत, पौधारोपण और अन्य आंदोलनों की तरह ‘जन आंदोलन’ चलाना चाहिए।
नायडू ने आज आंध्र प्रदेश के गुंटूर में श्री पतिबंदला सीतारमैया हाई स्कूल के हीरक जयंती समारोह में भाग लिया और वहां अन्नामय्या पुस्तकालय का दौरा किया।
उन्होंने इस अवसर पर बच्चों में कम उम्र से ही पढ़ने की आदत डालने का आह्वान किया।
एक विज्ञप्ति के अनुसार गुंटूर के अन्नामय्या पुस्तकालय में विभिन्न विषयों पर कुछ दुर्लभ पुस्तकों सहित 2 लाख से अधिक पुस्तकों का समृद्ध संग्रह है।
भाषा वैभव उमा
उमा
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